बिहार की राजनीति में लगातार उथल-पुथल जारी है. इस बीच लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह जमुई के सांसद चिराग पासवान ने केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजीजू से मुलाकात की है. मुलाकात में चिराग पासवान ने बताया कि बिहार के 65 लाख लोहारों को सरकार के संविधान विरोधी फैसले के कारण अनुसूचित जनजाति की सुविधा से वंचित किया गया है। जिसके कारण इनका आर्थिक समाजिक और राजनैतिक विकास अवरुद्ध हो गया है। इसके विरूद्ध मैं और हमारी पार्टी संसद से सड़क तक निर्णायक संघर्ष करेंगी।
चिराग पासवान ने बताया कि लोहार जाति 1956 से संविधान के शिड्यूल में अनुसूचित जनजाति के सूची में हिंदी में लोहार अधिसूचित है। 1976 संविधान संशोधन अनुसूचित जाति/जनजाति के सूची में हिंदी में लोहार/लोहरा अनुसूचित जाति की सूची में शामिल है लेकिन इन अधिसूचनाओं का उल्लंघन करते हुए पूर्व की सरकार ने एक्ट 48/2006 लाकर हिंदी में लोहार और अंग्रेजी में देवनागरी लिपि में लोहरा शब्द उच्चारित किया जो असंवैधानिक, गैरकानूनी और निरर्थक है। बिहार में लोहरा नाम की कोई जाति नहीं है।
चिराग पासवान ने कानून मंत्री को राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के कमरा नं0 11 में लोहार वंश हिन्दी में लोहार अंग्रेजी में लोहार का अंकित की छायाप्रति दिखाते हुए कहा कि जिन लोगों ने अंग्रेजी शब्द को लोहारा पढ़ा वे साजिश करके लोहार जाति को अनुसूचित जाति के सूची से वंचित करने की साजिश अविद्वतापूर्ण पाप किया है। ऐसे लोगों की खोज करके उन्हें दंडित करने की जरूरत है। इस संबंध में मैंने 2016 में प्रधानमंत्री जी को पत्र भी लिखा था, जिसके पत्रांक सं0 48/20 को भारत सरकार ने रद्द किया था।
सांसद ने कहा कि बिहार के लोहार जाति को न्याय मिले, इसके लिए संसद में गैर सरकारी बिल लाने की आवश्यकता है। इस दिशा में मै स्वंय प्रयासरत हूं। इसके लिए संसद से सड़क तक संघर्ष करूंगा। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश भट्ट ने बताया कि लोहार संगठन के मुंशीलाल शर्मा, ललन ठाकुर, हरेन्द्र विश्वकर्मा, राजकिशोर ठाकुर, डॉ रामराज शर्मा ने लोहार जाति की लड़ाई लड़ने पर चिराग पासवान के प्रति आभार व्यक्त किया है।