Bihar Politics: बिहार कांग्रेस को लगा झटका, इस नेता ने छोड़ा हाथ का साथ..

Bihar Politics बिहार कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शार्मा ने रविवार को हाथ का साथ छोड़ दिया. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने अगर जंगल राज के लिए बिहार के लोगों से क्षमा मांगी होती तो आज बिहार में कांग्रेस बेहतर स्थिति में होती. लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी समझौतावादी और अवसरवादी हो गए हैं.

By RajeshKumar Ojha | March 31, 2024 6:32 PM

Bihar Politics कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि हाल ही में पप्पू यादव का महिमामंडन किया गया, इससे कांग्रेस में समझदार लोगों के लिए मुश्किल हो रही है. पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने बताया कि यह इस्तीफा उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेज दिया है.

सोनिया गांधी कम्युनल लीडर

इससे पहले अनिल कुमार शर्मा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाये. साथ ही खरगे के बारे में कहा कि वे रिमोट से संचालित हो रहे हैं. वहीं सोनिया राममंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने के सोनिया गांधी के फैसले पर उनको कम्युनल लीडर बताया. उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा चुनाव में बिहार में राजद तीन-चार सीट भी जीतेगी तो यहां फिर से जंगल राज आ जायेगा. बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच हो परमानेंट सेटलमेंट हो चुका है. हालांकि कांग्रेस छोड़कर वे कहां जायेंगे? इस संबंध में पत्रकारों के सवालों पर उन्होंने कहा कि उन्हें कहीं से कोई ऑफर नहीं है और किसी से बातचीत नहीं हुई.

कांग्रेस और आरजेडी समझौता का विरोध किया था

अनिल शर्मा ने कहा कि सीताराम केसरी के अध्यक्ष रहते 1998 में जब से जनता दल के साथ कांग्रेस का गठबंधन हुआ था उसका मैं विरोधी रहा हूं. उस समय भी लालू प्रसाद के कहने पर सीट शेयरिंग हुई थी. तब कांग्रेस को वोटकटवा पार्टी कहा गया. उस दौर में राजद के शासन काल को जंगल राज कहा जाता था और हम लोग उसके सहयोग में थे.बिहार में राजद को सहयोग कर कांग्रेस ने भी अपराध किया है.

कांग्रेस का जंगल राज से समझौता

कांग्रेस इसलिए पनप नहीं पा रही है क्योंकि सोनिया गांधी ने भी अगर जंगल राज के लिए बिहार के लोगों से क्षमा मांगी होती तो आज बिहार में कांग्रेस बेहतर स्थिति में होती. सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस समझौतावादी और अवसरवादी रही. अध्यादेश फाड़ने वाले राहुल गांधी आज लालू प्रसाद के घर जाकर उनके साथ मटन खाकर और अवसरवादिता का परिचय दे रहे हैं. 1999 के बाद कांग्रेस में जो आंतरिक लोकतंत्र था वह खत्म हो चुका है. अगर राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं तो कश्मीर में जाकर दुकान लगाएं. उन्होंने कहा कि 39 साल कांग्रेस में रहे, लेकिन केवल चार साल ही पार्टी संगठन के पद पर रहे.

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