बिहार में घर-घर नहीं पहुंची होती बिजली, तो कभी सफल नहीं होता लाॅकडाउन : सुशील मोदी

पटना : वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित ऊर्जा विभाग के 4,855 करोड़ की योजनाओं के उद्घाटन, लोकार्पण व शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगर घर-घर बिजली नहीं पहुंची होती तो कोरोना संकट के दौराने महीनों का लाॅकडाउन कभी सफल नहीं होता, लोग घरों में बंद रहने के बजाय सड़कों पर निकल आते. बिजली की वजह से ही लोग एसी, पंखा, टीवी चला कर घरों में इत्मीनान से रहे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2020 5:30 PM

पटना : वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित ऊर्जा विभाग के 4,855 करोड़ की योजनाओं के उद्घाटन, लोकार्पण व शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगर घर-घर बिजली नहीं पहुंची होती तो कोरोना संकट के दौराने महीनों का लाॅकडाउन कभी सफल नहीं होता, लोग घरों में बंद रहने के बजाय सड़कों पर निकल आते. बिजली की वजह से ही लोग एसी, पंखा, टीवी चला कर घरों में इत्मीनान से रहे.

सुशील मोदी ने कहा कि घर-घर बिजली पहुंचाने के बाद सरकार किसानों को डीजल से खेती करने से मुक्ति दे रही है. अब तक 1 लाख 42 हजार किसानों को कृषि कनेक्शन दिया जा चुका है. डीजल से एक कट्ठे की सिंचाई में पहले जहां 20 रुपये खर्च होता था वहीं अब बिजली से मात्र 82 पैसे की लागत आती है. प्रति यूनिट 6.25 रुपये लागत वाली बिजली 5.50 रुपये का अनुदान देकर सरकार किसानों को मात्र 65 पैसे प्रति यूनिट उपलब्ध करा रही है.

पिछले 15 सालों में एनडीए की सरकार ने ऊर्जा प्रक्षेत्र पर 98,856 करोड़ रुपये खर्च करने के साथ ही उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के लिए 45,153 करोड़ अनुदान दिया है. 2005 में बिजली उपभोक्ता मात्र 24 लाख थे, जिनसे प्रतिमाह मात्र 65 करोड़ राजस्व का संग्रह होता था जिनकी संख्या 2019-20 में बढ़ कर 1 करोड़ 61 लाख हो गयी हैं तथा राजस्व संग्रह बढ़कर प्रति माह 715 करोड़ हो गया है.

सुशील मोदी ने कहा कि 2005 के पहले बिहार की हालत अफ्रीकी देशों की तरह थी. ट्रांसफर्मर जलने पर महीनों उसे बदला नहीं जाता था, शहरों में जेनरेटर का शोर, जर्जर लटकते तार, लो वोल्टेज और चारो तरफ फैला धुप्प अंधेरा ही बिहार की पहचान थी. पिछले 15 वर्षों में एनडीए की सरकार ने बिहार को अंधकार से निकाल कर प्रकाश की ओर और लालटेन से एलईडी के युग में पहुंचाया है.

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