पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भाजपा के वरिष्ठ सदस्य अवधेश नारायण सिंह को बिहार विधान परिषद का सभापति मनोनीत होने पर बधाई देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है. सुशील मोदी ने कहा कि दूसरी बार अवधेश नारायण सिंह को बिहार विधान परिषद का सभापति बनाया गया है. इसके पूर्व अगस्त, 2012 से मई, 2017 तक वे परिषद के सभापति का दायित्व संभाल चुके हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की है कि अनुभवी अवधेश नारायण सिंह का यह नया कार्यकाल भी पूर्व की भांति सफल रहेगा.
भाजपा के वरिष्ठ नेता अवधेश नारायण सिंह ने बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति के रूप में बुधवार को कार्यभार संभाल लिया. समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, राज्यपाल फागू चौहान ने संविधान के अनुच्छेद 184 (1) के तहत शक्ति का उपयोग करते हुए मंगलवार को तत्काल प्रभाव से विधान परिषद के कार्यकारी सभापति के तौर पर अवधेश नारायण सिंह को नियुक्त किया था.
अवधेश नारायण सिंह ने बुधवार को उच्च सदन के कार्यकारी सभापति के रूप में कार्यभार संभाल लिया. बिहार विधान परिषद के सभापति का पद लंबे समय से रिक्त पड़ा है क्योंकि उच्च सदन के पूर्व कार्यकारी सभापति और जदयू नेता हारून रशीद का कार्यकाल पिछले महीने समाप्त हो गया था.
उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में कार्य कर चुके अवधेश पूर्व में भी पांच वर्षों तक बिहार विधान परिषद के सभापति रह चुके हैं. बिहार के मुख्यमंत्री के करीबी के रूप में जाने जाने वाले अवधेश को 2012 में सर्वसम्मति से बिहार विधान परिषद के सभापति के रूप में चुना गया था और 2017 में सदन के सदस्य के तौर पर अपने कार्यकाल की समाप्ति तक यह पद संभाला था. वह मार्च 1993 से बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं और फिलहाल उच्च सदन में गया स्नातक सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.
अवधेश नारायण सिंह बिहार विधान परिषद के लिए हालांकि फिर से चुन लिये गये थे, पर सदन के सभापति का पद उस समय नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और उसके साथ सत्ता साझा कर रही लालू प्रसाद की पार्टी राजद के बीच विवाद का विषय बन गया था. राजद ने तर्क दिया था कि अधिक विधायकों वाली पार्टी होने के बावजूद वह जदयू नेता विजय कुमार चौधरी को बिहार विधानसभा का अध्यक्ष बनाने के लिए सहमत हो गयी थी, इसलिए वह अपने किसी विधान पार्षद को उच्च सदन के सभापति के पद पर नियुक्त किये जाने की अपेक्षा रखती है.
राजद के साथ संबंध विच्छेद होने के बाद नीतीश राजग में शामिल हो गये थे, पर उच्च सदन में पूर्णकालिक सभापति का पद अभी भी रिक्त पड़ा है. बहरहाल, सदन का सत्र जब भी आयोजित होगा, उसे बुलाने के लिए कार्यवाहक अध्यक्ष का होना आवश्यक था. इस बीच, हारून रशीद का कार्यकाल समाप्त होने से रिक्त हुई सीट के साथ बिहार विधान परिषद में कुल नौ रिक्त सीटों के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है, जिसके लिए मतदान आगामी 06 जुलाई को मतदान होना है.
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