नीतीश कुमार ने MY वोटरों में की सेंधमारी, वर्षों बाद प्रचार में उतरकर भी लालू यादव रहे बेअसर
Bihar Politics: 1990 से लेकर अब तक बिहार की राजनीति लालू प्रसाद यादव के इर्द गिर्द ही घूमती रही है. लालू विपक्ष में रहकर भी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होते थे, लेकिन अब उनके आधार वोटर भी खिसक रहे हैं. तब सवाल उठेगा ही क्या बिहार की राजनीति से लालू यादव का दौर हमेशा के लिए खत्म हो गया है.
Bihar Politics: पटना. राजद सुप्रीमो लालू यादव का इस उपचुनाव में कोई प्रभाव नहीं दिखा. वर्षों बाद लालू यादव इस उपचुनाव में उम्मीदवार के समर्थन में जनसभा की, लेकिन वो अपने उम्मीदवार को नहीं जीता पाये. खुद को दांव पर लगा कर भी लालू प्रसाद यादव के लिए परिणाम उल्टा हो गया. बिहार हो या झारखंड इस उपचुनाव में लालू प्रसाद यादव कोई चमत्कार नहीं कर पाये. बिहार की सभी चार सीटें उनकी पार्टी हार गयी, वहीं झारखंड के जिस कोडरमा सीट पर लालू यादव ने जन सभाएं की वहां भी राजद उम्मीदवार की हार हुई है. 1990 से लेकर अब तक बिहार की राजनीति लालू प्रसाद यादव के इर्द गिर्द ही घूमती रही है. लालू विपक्ष में रहकर भी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होते थे. लेकिन अब उनके आधार वोटर भी खिसक रहे हैं. ऐसे में राजनीति समीक्षकों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या बिहार की राजनीति से लालू यादव का दौर हमेशा के लिए खत्म हो गया है.
2019 से लालू यादव नहीं कर रहे हैं चुनावी सभा
बिहार में पिछले तीन चुनाव में लालू प्रसाद यादव चुनावी परिदृश्य से बाहर रहे. 2019 में लोकसभा चुनाव हुए थे. लालू प्रसाद यादव ने उसमें प्रचार नहीं किया. 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए, लालू प्रसाद यादव चुनाव प्रचार में नहीं थे. यहां तक कि 2024 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को टिकट तो बांट रहे थे, लेकिन उनकी भूमिका वहीं तक सीमित रही. 2024 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव ने कोई जनसभा नहीं की. वो केवल अपनी दोनों बेटियों चुनावी मैनेजमेंट करते दिखे. वे लोगों से मिले, फोन पर मैनेज किया, लेकिन दोनों बेटियों के लिए भी कोई चुनावी जनसभा नहीं की.
वर्षों बाद चुनावी सभा के लिए निकले लालू यादव
2024 के नवंबर में लालू प्रसाद यादव वर्षों बाद चुनावी सभा के लिए निकले. लालू प्रसाद यादव अपने रथ में सवार होकर पटना से झारखंड के कोडरमा पहुंचे वहां बकायदा जनसभा की, लेकिन झारखंड में इंडिया गठबंधन की लहर चलने के बावजूद कोडरमा सीट से लालू यादव के बेहद करीबी सुभाष यादव चुनाव हार गये. लालू यादव की जनसभा का कोई असर नहीं हुआ. झारखंड ही नहीं लालू यादव ने बिहार में भी जनसभा की. लालू प्रसाद यादव ने बेलागंज पहुंच कर खुद जनसभा की. इसके बावजूद 30 साल से राजद के गढ़ रहे बेलागंज सीट जदयू ने भारी मतों के अंतर से जीत लिया है.
यादव और मुस्लिम भी अब लालू यादव से छिटके
बेलागंज और रामगढ़ में राजद की हार बिहार की राजनीति में लालू के प्रभाव को दर्शाता है. बेलागंज में लालू यादव ने अपने भाषण में बार-बार कहते रहे कि हमलोगों को एकजुट रहना है. लेकिन बेलागंज के आंकड़े बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ने आरजेडी के न सिर्फ मुसलमान बल्कि यादव वोटरों में भी जबरदस्त सेंधमारी की है. तभी जेडीयू को इतनी बड़ी जीत हासिल हुई. 2020 में इस विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में आरजेडी के सुरेंद्र यादव ने करीब 24 हजार वोट से जीत हासिल की थी. सुरेंद्र यादव के सांसद बन जाने के बाद हुए उप चुनाव में आरजेडी ने उनके बेटे विश्वनाथ सिंह को कैंडिडेट बनाया. यहां से इस बार जेडीयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी ने 21 हजार से ज्यादा वोटों से आरजेडी के विश्वनाथ सिंह को हरा दिया. 2020 के विधानसभा चुनाव और इस उप चुनाव के रिजल्ट को जोड़ें तो आरजेडी के खाते से करीब 45 हजार वोट निकल गये.
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