Loading election data...

Bihar Politics: पत्नियों के हाथों में पतियों की राजनीतिक विरासत, चुनावी टिकट के लिए हो रही शादियां

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में महिलाओं के लिए तभी जगह बनती है जब पति की विरासत संभालने की उनके सामने मौका आता है. अपवाद को छोड़ दें तो बिहार में महिला सशक्तीकरण के नाम पर पत्नी के हाथ में नेताओं ने अपनी राजनीतिक विरासत सौंपी हैं.

By Ashish Jha | March 28, 2024 1:16 PM

Bihar Politics:पटना. मनोज कुमार. राजनीति मे घर की महिलाओं को कमान देना बिहार के लिए कोई नयी बात नही है. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया और उन्हें राजनीति में जगह दी, तो उस जमाने मे यह देश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया था. बिहार मे दर्जन भर महिलाएं अपने पति की जगह या उनकी सलाह से चुनाव मैदान में उतरी है. कई उदाहरण तो ऐसे भी हैं कि चुनाव लड़ने के लिए नेता रातोंरात शादियां कर लेते हैं. नयी नवेली दूल्हन मंडप से सीधा चुनावी मैदान में उतर जाती हैं.

पत्नी को विरासत सौंपने का रहा है पुराना इतिहास

बिहार के नेताओं में पत्नी को विरासत सौंपने का पुराना इतिहास रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह की पत्नी किशोरी सिन्हा, उनकी बहू श्यामा सिंह, पूर्व केद्रीय मंत्री रहे स्व दिग्विजय सिंह की पतनी पुतुल देवी, पूर्व सांसद अजित कुमार सिंह की पत्नी मीना सिंह, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, लेशी सिंह, बीमा भारती, रंजीता रंजन और मोकामा के विधायक रहे अनंत सिंह की पन्नी नीलम देवी अपने पति की राजनीतिक विरासत को समय समय पर संभाला है. इस लोकसभा चुनाव में भी दो नेताओं की पत्नियो की सीधे चुनावी राजनीति में इंट्री हो गयी है. सीवान से राजलक्ष्मी देवी को जदयू और मुंगेर से अनीता देवी को राजद ने चुनावी मैदान में उतार दिया है. ये दोनों अपने-अपने पति की राजनीति विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगी.

टिकट के लिए अशोक महतो ने की शादी

बिहार में इस तरह की इंट्री की एक लंबी फेहरिस्त रही है. किसी नेता ने अपनी पत्नी को सीधे चुनावी राजनीति मे उतारा, तो कई को मजबूरीवश उतारना पड़ा. पत्नियों के राजनीतिक विरासत संभालने के भी कई उदाहरण है. जीतने का गुणा-गणित लगाकर नेताओं की पत्नियों को टिकट देने की परंपरा रही है. इस कड़ी में टिकट के लिए शादी भी करनी पड़ी है. शादी के तुरंत बाद टिकट मिल जाने और जीतने का भी बिहार गवाह रहा है. चुनाव मे पत्नी ब्रगेड का चलन अब भी बरकरार है. डॉन के नाम से मशहूर नवादा जिले के अशोक महतो चुनाव लड़ना चाहते थे. कानून आड़े आ रहा था या भविष्य मे आने की चिंता थी. टिकट के लिए अशोक महतो को शादी करने की सलाह दी गयी. 55 वर्ष की उम्र में अशोक महतो ने शादी की. शादी के कुछ ही घंटों बाद राजद ने उनकी पत्नी अनीता देवी को मुंगेर से प्रत्याशी घोषित कर दिया.

Also Read: बिहार में अपनी पारंपरिक सीटों से भी बेदखल हो गयी कांग्रेस, जानें कन्हैया के साथ क्या हुआ खेला

टिकट के लिए कविता सिंह को करनी पड़ी शादी

सीवान से जदयू की निवर्तमान सांसद कविता सिंह की कहानी दिलचस्प है. कविता सिंह के पति अजय सिंह सीवान से लड़ने का मन बना चुके थे, लेकिन उनके नाम पर सहमति नही बनी. कहा गया कि अगर वे शादी कर लेते है, तो उनकी पतनी को सीवान से टिकट मिल सकता है. तब अजय सिंह ने खरमास में कविता सिंह से शादी की. जदयू से कविता सिंह को टिकट मिला और वह चुनाव भी जीत गयी. इसी प्रकार राजलक्ष्मी देवी पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी है. रमेश कुशवाहा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे. अचानक उन्होंने पाला बदला और पत्नी समेत जदयू की सदस्यता ग्रहण कर ली. जदयू ने उनकी पत्नी को उम्मीदवार बना दिया है.

Next Article

Exit mobile version