17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में IPS की राह आसान नहीं, अब तक कोई DGP नहीं जीत पाया है चुनाव

Bihar Politics: शिवदीप वामनराव लांडे पटना शहर की किसी विधानसभा सीट से 2025 के विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. उनकी बात प्रशांत किशोर से हुई है और वो जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. पीके की पार्टी का 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर एलान होना है.

Bihar Politics: पटना. बिहार पुलिस में सुपरकॉप से लेकर सिंघम तक जैसी उपमाओं से नवाजे जा चुके भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तेज तर्रार और चर्चित अफसर शिवदीप वामनराव लांडे पटना शहर की किसी विधानसभा सीट से 2025 के विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार उनकी बात प्रशांत किशोर से हुई है और वो जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. पीके की पार्टी का 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर एलान होना है. पुलिस अफसरों का राजनीति में आना कोई नयी बात नहीं है. पहले भी कई आइपीएस चुनावी मैदान में आ चुके हैं, कुछ को सफलता मिली तो कुछ यहां कामयाब नहीं हो पाये. कुल मिलाकर देखा जाये तो बिहार में पुलिस अधिकारियों का राजनीतिक सफर बहुत सफल और आसान नहीं रहा है. ऐसे में शिवदीप वामनराव लांडे के राजनीति सफर को लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो चुकी है.

अब तक कोई डीजीपी नहीं जीत पाया है चुनाव

बिहार में रिटायर्ड डीजीपी भी खूब चुनाव लड़े हैं, लेकिन कोई जीत नहीं पाया है. आरजेडी के नेता शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसने के लिए चर्चा में रहे डीजीपी डीपी ओझा बेगूसराय से लड़े, लेकिन हार गए. पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर 2014 में नालंदा से लोकसभा का चुनाव लड़े और हार गए. पूर्व पुलिस महानिदेशक आरआर प्रसाद तो पंचायत का चुनाव लड़े और वो भी हार गए. पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का राजनीतिक सफर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया. 2009 में भी गुप्तेश्वर पांडेय ने बक्सर लोकसभा सीट से लड़ने के लिए वीआरएस लिया था, लेकिन बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो बाद में सरकार ने नौकरी में वापसी की अर्जी मंजूर कर ली. आगे डीजीपी बनकर रिटायर हुए तो फिर विधानसभा में भी चांस नहीं मिलने के बाद अब भगवा धारण कर प्रवचन करते हैं. पूर्व डीजीपी डीएन सहाय कभी चुनाव नहीं लड़े, लेकिन राज्यपाल रहे. बिहार के मौजूदा डीजीपी आलोक राज उनके दामाद हैं.

निखिल कुमार रहे सबसे सफल, चखा जीत का स्वाद

ऐसा भी नहीं है कि सबको नाकामी ही मिली है. बिहार में डीजी पद से रिटायर हुए 1987 बैच के सुनील कुमार जेडीयू से जुड़े और 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत के साथ मंत्री भी बन गए. वैसे बिहार में जो पूर्व आईपीएस राजनीति में सफल रहे उनमें दिल्ली के पुलिस कमिश्नर रहे निखिल कुमार और आईजी रहे ललित विजय सिंह शामिल हैं. निखिल कुमार औरंगाबाद से 2004 में कांग्रेस के सांसद बने. उसके बाद जब भी लड़े, हार गये. निखिल बिहार के पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बेटे हैं और परिवार कई लोग लोकसभा और राज्यसभा गए हैं. ललित विजय सिंह जनता दल के टिकट पर 1989 में बेगूसराय से जीते और केंद्र में राज्यमंत्री भी बने. इन लोगों ने अपनी राजनीतिक यात्रा में जीत का स्वाद ही नहीं चखा, बल्कि मंत्री और राज्यपाल जैसे पदों पर भी रहे.

Also Read: Zoo in Bihar: बिहार में बनेगा देश का सबसे बड़ा चिड़ियाघर, 1500 करोड़ की लागत से 289 एकड़ में होगा निर्माण

जन सुराज बन रहा आइपीएस का नया ठिकाना

पिछले लोकसभा चुनाव में भी असम काडर के 2011 बैच के आईपीएस अफसर आनंद मिश्रा नौकरी से इस्तीफा देकर बक्सर से निर्दलीय चुनाव लड़े थे, 47 हजार वोट ही जुटा सके और हार गए. आनंद चौथे नंबर पर रहे. वो भी अब प्रशांत किशोर के जन सुराज के साथ जुड़ चुके हैं. इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तमिलनाडु काडर के दो आईपीएस बिहार आए पर नाकाम रहे. बीके रवि ने कांग्रेस जबकि करुणा सागर ने आरजेडी का दामन थामा था. दोनों को टिकट नहीं मिला. बाद में करुणा राजद छोड़कर कांग्रेस में चले गए. अब चर्चा है कि शिवदीप वामनराव लांडे भी प्रशांत किशोर के साथ जा रहे हैं और जन सुराज के उम्मीदवार के तौर पर वो बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें