बिहार सरकार को बेहतर वित्तीय प्रबंधन की सलाह देने के लिए वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बिहार लोक वित्त एवं नीति संस्थान (बीआइपीएफपी)बनाया जा रहा है. इसका पदेन अध्यक्ष वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव व प्रधान सचिव होंगे, जबकि योजना एवं विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव व प्रधान सचिव, वित्त विभाग के सचिव संसाधन और व्यय के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के तीन अर्थशास्त्री इसके सदस्य होंगे. इनका मनोनयन अध्यक्ष की सहमति से राज्य सरकार करेगी. हालांकि राज्य में राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान की तर्ज पर राज्य की लोक वित्त एवं आर्थिक नीति केंद्र (सीईपीपीएफ) की स्थापना वर्ष 2008 एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्ट्रीच्यूट (आद्री) में की गयी थी.
बिहार में सीइपीपीएफ की स्थापना आद्री में की गयी थी और यह आद्री के नियम-कानून के तहत चल रहा था. इस केंद्र का मुख्य कार्य वित्तीय मामले में अनुसंधान के साथ-साथ राज्य सरकार को आर्थिक सहयोग और सहायता प्रदान करना था. वित्त विभाग के सूत्रों का कहना था कि वर्तमान परिस्थिति में राज्य सरकार को कार्यों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. अभी सीइपीपीएफ आद्री के नियम-कानून से चल राहा है, जिस कारण से केंद्र के पेशेवर कार्यकलाप और प्रशासनिक कार्यों में परेशानी हो रही थी. इस केंद्र के कार्य की गुणवत्ता को और बेहतर बनाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही थी.
बीआइपीएफपी मुख्य रूप से वित्तीय अनुसंधान केंद्र के रूप में काम करेगा. जिसमें मुख्य रूप से वित्तीय मामलों में केंद्र के सामने राज्य का तार्किक पक्ष रखने के लिए आवश्यक सुझाव और केंद्रीय वित्त आयोग के लिए मेमोरंडम तैयार करेगा. वहीं,राजकोषीय घाटा की वर्तमान स्थिति की समीक्षा और उसके निवारण का सुझाव राज्य सरकार को देगा. कर और गैर कर राजस्व की समीक्षा कर इसमें किस तरह से बढ़ोतरी की जा सकती है इसका भी अनुशंसा सरकार से करेगा. अब यही संस्थान राज्य का आर्थिक सर्वे भी तैयार करेगा.
इस संस्थान के स्वीकृति पद वहीं होंगे जो अभी सीइपीपीएफ में है. वर्तमान के सभी देनदारी बीआइपीएफपी में स्थानांतरित कर दिये जायेंगे. बीआइपीएफपी में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मियों का चयन संस्थान के अध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित चयन समिति करेगी. यह चयन समिति, वर्तमान में सीइपीपीएफ में कार्यरत कर्मियों का उनके योग्यता के आधार चयन करेगी. संस्थान में कार्यरत कर्मी राज्य सरकार के सेवक नहीं होंगे. जबकि उनकी सेवा शर्त का निर्धारण वित्त विभाग की अनुशंसा पर की जायेगी.