22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार के राजस्व मंत्री आलोक मेहता को मिली जान से मारने की धमकी, थाने में दर्ज करायी शिकायत

सचिवालय थाने को दी गयी शिकायत में आलोक मेहता ने कहा कि सोमवार को अपराह्न करीब 3:15 बजे मेरे सरकारी मोबाइल नंबर पर फोन आया. ट्रू कॉलर मोबाइल एप पर कॉल करने वाले का नाम दीपक पांडेय दिख रहा था. उसने जाति सूचक शब्दों के साथ गालियां दीं.

बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता को जान से मारने की धमकी मिली है. मंत्री ने इसकी लिखित सूचना सचिवालय थाने को दी है. मंत्री ने पुलिस को बताया कि उन्हें सोमवार को दो अलग-अलग फोन नंबरों से कॉल कर भद्दी-भद्दी गालियों के साथ साथ जान से मारने की धमकी भी दी गयी.

फोन कर दी जान से मारने की धमकी

सचिवालय थाने को दी गयी शिकायत में मेहता ने कहा कि सोमवार को अपराह्न करीब 3:15 बजे मेरे सरकारी मोबाइल नंबर पर फोन आया. ट्रू कॉलर मोबाइल एप पर कॉल करने वाले का नाम दीपक पांडेय दिख रहा था. उसने जाति सूचक शब्दों के साथ गालियां दीं. जब उन्होंने इसे ब्लॉक कर दिया तो थोड़ी देर बाद पप्पू त्रिपाठी नामक एक दूसरे व्यक्ति ने एक दूसरे मोबाइल नंबर से कॉल कर जान से मारने की धमकी दी. इधर राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने इस मामले में पुलिस प्रशासन से इसकी जांच करा अविलंब कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.

मंत्री ने बीते दिनों दिया था विवादित बयान

बता दें कि मंत्री आलोक मेहता ने एक विवादित बयान दिया था. जिसके बाद से बिहार में राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ गयी थी. मंत्री ने अपने बयान में दस फीसदी आरक्षण पाने वाले लोगों को अंग्रेजों का दलाल बताया थे. आलोक मेहता ने भागलपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि जगदेव बाबू ने दलित, शोषित, पिछड़े और वंचितों के उत्थान की लड़ाई लड़ी, जिनकी हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है. उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता था. वहीं जो आज दस फीसदी आरक्षण वाले हैं, उन्हें अंग्रेजों ने जाते वक्त सैकड़ों एकड़ जमीन देकर जमींदार बना दिया, जबकि मेहनत, मजदूरी करने वाले आज तक भूमिहीन बने हुए हैं.

Also Read: बिहार का पहला इंडस्ट्रियल कॉरिडोर होने जा रहा तैयार, विभिन्न औद्योगिक सेक्टर के लिए तय किया गया रकबा

मंत्री ने दी थी अपने बयान पर सफाई

हालांकि मंत्री आलोक मेहता ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा था कि मेरे बयान की गलत तरीके से व्याख्या की गयी है. उन्होंने कहा कि शोषक वर्ग किसी एक जाति से नहीं होते हैं. वो बदलते रहते हैं. मैंने उन 10 प्रतिशत शोषक वर्ग के बारे में कहा है जो 90 प्रतिशत का शोषण करते रहे हैं. जब देश गुलाम था तो अंग्रेज शोषण करते थे और जब देश आजाद हुआ तो अंग्रेजों के पिठ्ठू या उनके दलाल शोषक बन गये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें