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Bihar: बिहार में बालू घाटों की होगी अब ऑनलाइन निगरानी, विभाग कर रहा है ये खास व्यवस्था

Bihar: बिहार में बालू घाटों की अब ऑनलाइन निगरानी होगी. बिहार सरकार इसको लेकर एक बड़ी योजना पर काम कर रही है. गुगल और जीपीएस के माध्यम से अब पटना में बैठे बैठे तमाम घाटों की निगरानी की व्यवस्था की जा रही है.

Bihar: पटना. बिहार में बालू माफिया की नकेल कसने की तैयारी चल रही है. सरकार इसके लिए फुलप्रूफ प्लान बना रही है. बालू के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए विभाग ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था करने जा रहा है. इसके लिए सोन नदी के पूरे तट की गूगल मैपिंग की जायेगी. खान एवं भूतत्व विभाग पटना से लेकर रोहतास तक गूगल के ऑनलाइन मैप की मदद से पूरे इलाके की सघन फोटोग्राफी कराने जा रहा है. सोन नदी तटबंध की लंबाई करीब 150 किमी है, उसपर खास तौर पर कैमरे लगाने की तैयारी चल रही है.

चिह्नित किये जा रहे हैं अवैध खननवाले स्पॉट

विभाग की ओर से अभी बालू के अवैध खनन की अधिक संभावना वाले स्पॉट को चिह्नित किया जा रहा है. इन स्थलों का गूगल की मदद से को-ऑर्डिनेट (अक्षांश एवं देशांतर बिन्दु) भी लिया जा रहा है. इससे अवैध खनन वाले स्पॉट को चिह्नित करने में मदद मिलेगी. इसका लाभ यह होगा कि त्वरित कार्रवाई के लिए इन स्थानों तक गूगल मैप या जीपीएस की मदद से आसानी से पहुंचा जा सकेगा. इन सभी चुनिंदा स्थलों पर कैमरे लगाए जाएंगे. इन्हें विभाग में मौजूद कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से जोड़ा जाएगा. इससे सभी संवेदनशील स्थानों की समुचित निगरानी हो सकेगी. इन कैमरों को सैटेलाइट या मोबाइल के जरिए जोड़कर निगरानी करने की व्यवस्था बहाल करने पर भी विचार किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट पर विभाग मंथन करने में जुटा है. सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा.

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बिहार में खनन का आधा राजस्व केवल सोन से

बिहार में खनन का आधा राजस्व केवल सोन से आता है. खनन विभाग को इसी नदी घाट से सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है. बीते वित्तीय वर्ष में बालू खनन से करीब 3300 करोड़ रुपये के राजस्व की वसूली हुई. इसमें 50 से 55 फीसदी राजस्व इसी नदी घाटों से आया. पूरे राज्य में रोजाना करीब 50 से 55 हजार चालान जारी होता है. इसमें करीब आधे चालान इन इलाकों के होते हैं. एक बालू लदे वाहन के लिए एक चालान जारी किया जाता है. यह ट्रक या ट्रैक्टर भी हो सकता है. सोन नदी का बालू सबसे बेहतरीन माना जाता है. यह बालू हल्का लाल और सुनहरे रंग का होता है. ढलाई और प्लास्टर दोनों के लिए काफी उपयुक्त है. इसकी मांग सबसे ज्यादा है. इसकी कीमत भी गंगा की सफेद रेत से दो से ढाई गुणा अधिक होती है. इसके करीब 130 से 140 घाटों पर अभी खनन कार्य चल रहा है.

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