बिहार कर्मचारी चयन आयोग के परीक्षा संचालन में पारदर्शिता की कमी, जानें हाइकोर्ट ने क्या दिए निर्देश

पटना हाइकोर्ट ने अपने एक आदेश में बिहार कर्मचारी चयन आयोग के परीक्षा संचालन में पारदर्शिता की कमी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आयोग के पास गलतियां करने का एक लगातार ट्रैक रिकॉर्ड है. न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने अनिल कुमार शर्मा व अन्य की रिट याचिका को मंजूर करते हुए आयोग को कई दिशा-निर्देश दिये हैं. कोर्ट ने कहा कि आयोग 2014 में विज्ञापित पहली इंटर स्तरीय संयुक्त परीक्षा के पीटी रिजल्ट से संबंधित मॉडल उत्तर पत्र एक सप्ताह में वेबसाइट पर अपलोड कर अभ्यार्थियों से आपत्ति व सलाह आमंत्रित करने को कहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 2, 2020 7:14 AM

पटना हाइकोर्ट ने अपने एक आदेश में बिहार कर्मचारी चयन आयोग के परीक्षा संचालन में पारदर्शिता की कमी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आयोग के पास गलतियां करने का एक लगातार ट्रैक रिकॉर्ड है. न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने अनिल कुमार शर्मा व अन्य की रिट याचिका को मंजूर करते हुए आयोग को कई दिशा-निर्देश दिये हैं. कोर्ट ने कहा कि आयोग 2014 में विज्ञापित पहली इंटर स्तरीय संयुक्त परीक्षा के पीटी रिजल्ट से संबंधित मॉडल उत्तर पत्र एक सप्ताह में वेबसाइट पर अपलोड कर अभ्यार्थियों से आपत्ति व सलाह आमंत्रित करने को कहा है.

परीक्षा में पारदर्शिता बरतने का कोर्ट ने दिया निर्देश

कोर्ट ने कहा कि आयोग आयोजित की जाने वाली परीक्षा में पारदर्शिता बरतें. इसके लिए कोर्ट ने अपने 35 पन्ने के आदेश में आयोग को कई तरह के दिशा-निर्देश दिया है. कोर्ट ने शुरुआत में ही इस बात का जिक्र किया है कि 2014 में इंटर स्तरीय संयुक्त परीक्षा कभी पेपर लीक होने के कारण, तो कभी पीटी के रिजल्ट में पारदर्शिता नहीं बरतने के कारण एवं अन्य कई अपने ट्रैक रिकॉर्ड को गिरा कर उसे बरकरार रख रहा है.

आयोग ने मॉडल उत्तर को प्रकाशित किये बगैर ही पीटी का रिजल्ट निकाल दिया- अधिवक्ता

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता कुमार कौशिक ने कोर्ट को बताया की आयोग ने मॉडल उत्तर को प्रकाशित किये बगैर ही पीटी का रिजल्ट निकाल दिया. यही नहीं आरक्षण के अनुसार कोटिवार कट ऑफ अंक को भी जारी नहीं किया गया. इस तरह का रिजल्ट निकालना सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेशों के विरुद्ध है. लोक सेवाओं के चयन प्राक्रिया में पारदर्शिता होना संवैधानिक ज़रूरत है. यह कानून सुप्रीम कोर्ट कानपुर यूनिवर्सिटी बनाम समीर गुप्ता के मामले में बहुत पहले स्थापित कर चुका है.

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परीक्षा संचालन में पारदर्शिता नहीं रखने पर हाइकोर्ट ने कई बिंदुओं पर निर्देश जारी करते हुए कहा-

-पीटी प्रश्न पत्रों का मॉडल उत्तर एक सप्ताह में आयोग वेबसाइट पर अपलोड करें

-अभ्यर्थियों से ऑनलाइन ऑब्जेक्शन आमंत्रित करें

-आयोग एक एक्सपर्ट कमेटी गठित करे, जो दर्ज हुई सारी आपत्ति रखेगी

-कमेटी सुधार की अनुशंसा करती है, तो आयोग रिजल्ट को रिवाइज करे

-यदि कमेटी ओपिनियन नहीं देती है, तो आगे की भर्ती प्रक्रिया जारी रखें

-कमेटी द्वारा करवाये गये सुधार को आयोग वेबसाइट पर अपलोड करे

-आयोग अभ्यर्थियों का कट ऑफ आरक्षण के अनुसार जारी करते हुए उसका अंक भी कोटिवार जारी करे

-आपत्ति लेते वक्त आयोग उन प्रश्नों के उत्तर भी मांगे, जो अभ्यर्थी ने पीटी में जवाब के रूप में अंकित किया था.

Posted by: Thakur Shaktilochan

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