बिहार में अवैध शराब के कारोबार पर तेजी से सख्ती बढ़ती जा रही और धंधेबाजों पर नकेल कसा जा रहा है. इसे देखते हुए तस्करों ने अपना ट्रेंड बदलना शुरू कर दिया है. अब दूसरे राज्यों से तस्करी की शराब मंगवाने में निजी कंपनियों के नाम पर पैसे ट्रांसफर किये जा रहे हैं. यहां से अवैध शराब मंगवाने के लिए ये रुपये दूसरे राज्यों में मौजूद इन कंपनियों के खाते में ट्रांसफर होते हैं.
इसके बाद ये रुपये संबंधित माफिया के पास पहुंच जाते हैं, जिसके बाद शराब के खेप की सप्लाइ होती है. इन कंपनियों के नाम ऐसे होते हैं, जिसे शुरुआती तौर पर देखने से यह लगता है कि ये रुपये किसी व्यावसायिक लेनदेन के लिए भेजे जा रहे हैं. हाल में खुफिया विभाग की जांच में इससे जुड़े कई तथ्य सामने आये हैं.
इसमें यह बात सामने आयी कि झारखंड, यूपी, पश्चिम बंगाल, दिल्ली व हरियाणा समेत कुछ अन्य राज्यों में कई ऐसी कंपनियां सामने आयी हैं, जिनमें बिहार से व्यापारिक लेनदेन के नाम पर पैसे ट्रांसफर किये गये, लेकिन ये रुपये अवैध शराब की तस्करी में शामिल माफियाओं के पास पहुंच गये. इनमें कई फर्जी कंपनियां भी सामने आयी हैं, जिनके मालिकों का नाम-पता समेत तमाम जानकारी गलत है.
इस जांच में कोलकाता के नाम-पते पर रजिस्टर्ड कुछ कंपनियों के नाम सामने आये हैं, जिनमें शराब की अवैध सप्लाइ के लिए यहां से पैसे भेजे गये हैं. इन कंपनियों का सहारा इसलिए लिया जा रहा है, ताकि अवैध शराब की तस्करी में दूसरे राज्यों में शामिल व्यक्ति का नाम-पता सामने नहीं आये. पैसे के लेनदेन के आधार पर भी इसे पकड़ा नहीं जा सके.
इसके मद्देनजर अवैध शराब तस्करी की जांच में अब इस बात पर खासतौर से फोकस किया जा रहा है कि जब्त शराब का बैच नंबर और लॉट नंबर क्या है. इन दोनों की मदद से यह पता किया जायेगा कि यह शराब किसे और कब बेची गयी थी. जिस डीलर को यह शराब बेची गयी, उससे किसने कितनी मात्रा में खरीदी. फिर इसके बाद यह शराब कहां गयी. इस ट्रेल के आधार पर जांच की पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया जायेगा, जिससे सही दोषी पकड़े जा सकें.
Posted By: Thakur Shaktilochan