बिहार: शराब पकड़ने वाले अफसर नहीं करेंगे उस केस की जांच, अब एंटी लिकर टास्क फोर्स करेगा बड़े मामलों की जांच
बिहार में शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के साथ शराब तस्करी, उपयोग व अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल आरोपितों को न्यायालय से सजा दिलाने में भी पुलिस कोई कोताही नहीं करना चाहती. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की ओर से शराबबंदी कानून को पालन कराने में लगे अफसरों को निर्देश दिया गया है.
बिहार में शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के साथ शराब तस्करी, उपयोग व अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल आरोपितों को न्यायालय से सजा दिलाने में भी पुलिस कोई कोताही नहीं करना चाहती. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की ओर से से शराबबंदी कानून को पालन कराने में लगे अफसरों को निर्देश दिया गया है.
निर्देश के तहत कहा गया है कि जो अफसर किसी अमुक स्थान पर छापेमारी कर शराब, आरोपित व अन्य संसाधनों पकड़ा व जब्त करता है, वो अफसर उस कांड का जांच अधिकारी नहीं होगा. छापेमारी दल के पुलिस अधिकारियों को छोड़ कर थाने में मौजूद दूसरे अफसर को उस केस की जांच दी जायेगी. इस नियम को और सख्ती से लागू किया जायेगा.
मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अगर किसी कारणवश उस थाने या ओपी में अन्य अफसर नहीं होंगे, तो विषम परिस्थिति में ही छापा दल में ही मौजूद पुलिस अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी दी जा सकेगी.
अधिकारियों ने बताया कि कई बार छापेमारी दल के ही पुलिस पदाधिकारी उस मामले की जांच करते हैं, तो कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील की ओर से इस बात की दलील दी जाती है कि अगर कोई छापेमारी कर कार्रवाई करता है, तो आखिर वह उस केस ही जांच कैसे कर सकता है. ऐसे में कई बार मामला लंबा खींच जाता है. इसलिए यह जरूरी है कि किसी भी मामले में छापेमारी करने वाले और जांच करने वाले पुलिस पदाधिकारी अलग-अलग हों.
कुछ समय पहले मद्य निषेध में गठित हुई एंटी लिकर टास्क फोर्स की भूमिका अब और बढ़ेगी. जिन जगहों पर भारी मात्रा में शराब बरामदगी होती है. इसके अलावा छापेमारी में पता चलता है कि शराब तस्करी का मामला दूसरे राज्यों से जुड़ा हुआ है, तो ऐसे मामलों में एंटी लिकर टास्क फोर्स को जिम्मेदारी दी जायेगी. इस फोर्स के पुलिस पदाधिकारी उस मामले की जांच करेंगे. दूसरे राज्यों में जा कर गिरफ्तारी करने के लिए एंटी लिकर टास्क फोर्स के अधिकारी ही जायेंगे.
बीते छह माह के रिकॉर्ड को देखा जाये तो मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की ओर से पूरे राज्य में एक माह के दौरान औसत एक हजार जगहों पर शराबबंदी कानून तोड़ने वालों के खिलाफ छापेमारी की जाती है. इसमें करीब इतने ही मामले दर्ज किये जाते हैं. प्रतिमाह पांच सौ से लेकर सात सौ तक गिरफ्तारियां इस मामले में होती है. मगर, वर्तमान में भी सजा दिलाने की रफ्तार थोड़ी धीमी है. एक माह में दर्ज कांड के आधी संख्या में भी एक माह में आरोपितों को सजा नहीं मिल पाती है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan