बिहार में बिजली की बढ़ती मांग और राजधानी सहित सभी जिलों में 24 घंटे निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर बिजली ट्रांसमिशन व्यवस्था मजबूत हो रही है. योजना के मुताबिक वर्ष 2023-24 में सूबे की पीक डिमांड 7521 मेगावाट होने की संभावना जतायी गयी है. इसको देखते हुए इससे पहले ही उसकी पूर्ति के लिए जरूरी 13540 मेगावाट क्षमता से अधिक का ट्रांसमिशन नेटवर्क तैयार होगा.
ऊर्जा विभाग के मुताबिक इस साल ट्रांसमिशन की कई परियोजनाएं पूरी होंगी. चंदौती (गया), सीतामढ़ी व सहरसा में 400 केवी पावरग्रिड के बाद इससे संबंधित से संबंधित चार डाउन लिंकिंग ट्रांसमिशन लाइन व रक्सौल में 220 केवी ग्रिड उपकेंद्र मार्च 2023 से पहले पूरा होगा.
इसके साथ ही 664.76 करोड़ की लागत से बख्तियारपुर में 400 केवी जीआइएस ग्रिड उपकेंद्र, राज्य योजना से 2149 करोड़ की लागत से सात नये ग्रिड उपकेंद्र, चौसा (बक्सर) स्थित निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट से विद्युत निकासी के लिए 817 करोड़ की लागत से तीन ट्रांसमिशन लाइन सहित कई परियोजनाएं इस साल पूरी होंगी.कंपनी नयी ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के साथ ही पुराने लाइनों का जीर्णोद्धार भी कर रही है.
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बड़ी आबादी को रोटेशन पर बिजली की सुविधा, लो वोल्टेज से राहत, फॉल्ट की परेशानी दूर करना
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पुराने उपकेंद्रों व लाइन पर से बोझ घटाना
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बिजली की बढ़ रही डिमांड को पूरा करने के लिए वैकल्पिक सुविधा उपलब्ध कराना
वर्ष- पीक डिमांड -जरूरी क्षमता
वर्ष 2021-22- 6576 मेगावाट- 11840 मेगावाट
वर्ष 2022-23- 7054 मेगावाट -12700 मेगावाट
वर्ष 2023-24- 7521 मेगावाट-13540 मेगावाट
वर्ष -मेगावाट
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2005-06 700
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वर्ष 2012- 1751
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वर्ष 2017- 4535
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वर्ष 2018- 5139
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वर्ष 2019- 5891
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वर्ष 2020- 5932
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वर्ष 2021- 6627