पटना : लॉकडाउन की वजह से बिहार में सभी बाजार, व्यापार समेत तमाम आर्थिक गतिविधि ठप पड़ गयी है. इससे आंतरिक टैक्स संग्रह में भी बड़े स्तर पर गिरावट आयी है. पिछले वित्तीय वर्षों की तुलना में इस बार आंतरिक टैक्स संग्रह में करीब 85 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. हर बार वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीनों में राज्य सरकार को आंतरिक स्रोतों से ढाई हजार से तीन हजार करोड़ का टैक्स आता था. सबसे ज्यादा राजस्व वाणिज्य कर से प्राप्त होता है.
इसकी स्थिति भी इस बार अच्छी नहीं है. बीते वित्तीय वर्ष के अप्रैल में बिना केंद्र से प्राप्त क्षतिपूर्ति राशि के करीब एक हजार 650 करोड़ रुपये आये थे. जबकि, इस बार एक हजार करोड़ रुपये ही आये हैं, जिसमें करीब 500 करोड़ रुपये केंद्रीय क्षतिपूर्ति अनुदान के रुपये शामिल हैं. ऐसे में वाणिज्य कर के अंतर्गत राज्य का वास्तविक संग्रह महज 500 करोड़ रुपये ही हैं.
राज्य के अन्य क्षेत्रों में टैक्स संग्रह की स्थिति इससे ज्यादा खराब है. रजिस्ट्रेशन विभाग ने जमीन, प्लॉट समेत अन्य के निबंधन की प्रक्रिया ऑनलाइन और तमाम पाबंदियों के साथ 20 अप्रैल से शुरू की है. परंतु अब तक पूरे राज्य में महज 206 रजिस्ट्री ही हुई है और इससे महज चार करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ है. जबकि पहले महीने में औसतन पांच से साढ़े पांच हजार रजिस्ट्री हुआ करती थी. इस बार पूरे राज्य में अब तक सबसे ज्यादा रजिस्ट्री भागलपुर कार्यालय में 31, पटना में 29, पूर्णिया 26, दानापुर-22, कहलगांव- 16 और शिकारपुर (बेतिया) कार्यालय में 11 रजिस्ट्री हुई है. अन्य कार्यालयों में 10 से कम ही रजिस्ट्री हुई है.
इसके अलावा वाहनों की बिक्री बंद होने के साथ ही राज्य सरकार का वाहन पोर्टल भी बंद होने से परिवहन सेक्टर से भी राजस्व नहीं आ रहा है. पेट्रोल-डीजल की खपत काफी कम होने की वजह से वैट मद में भी राज्य को काफी कम राजस्व मिल रहा है. सामान्य दिनों में राज्य को पेट्रोल-डिजल से प्रत्येक महीने 400 करोड़ रुपये वैट के रूप में राजस्व मिलता था. इसके अलावा बालू खनन समेत ऐसी अन्य गतिविधि बंद होने से भी राजस्व प्राप्ति नहीं हो रही थी. हालांकि सरकार ने बालू खनन समेत कुछ एक गतिविधियों को शुरू करने का आदेश दिया है, ताकि राजस्व संग्रह शुरू हो सके.