Bihar Teacher: पटना. राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का अहम योगदान होता है. ऐसे में शिक्षकों को अपना कौशल अपग्रेड करना चाहिए और ऐसा नहीं करने वाले नौकरी छोड़ सकते हैं. बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए राज्य सरकार ने योग्यता परीक्षा पास करने का नियम बनाया है. योग्यता परीक्षा के खिलाफ स्थानीय शिक्षकों की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करना सही फैसला
न्यायाधीश बीवी नागरत्ना और न्यायाधीश उज्जवल भुइंया की अवकाशकालीन पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर बिहार सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करना चाहती है और आप उसका विरोध करते हैं तो नौकरी करने के योग्य नहीं है. पीठ ने कहा कि शिक्षा प्रदान करना एक सम्मानजनक काम है. लेकिन शिक्षक सिर्फ वेतन और पदोन्नति को लेकर चिंतित हैं. लाखों लोगों के पास रोजगार नहीं है और आप अपने कौशल को अपग्रेड नहीं करना चाहते हैं. राज्य सरकार के नियम का पालन करना होगा, नहीं तो नौकरी छोड़ सकते हैं. अदालत ने कहा कि देश के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की शिक्षा का स्तर देखिए. पोस्ट ग्रेजुएट को सही से लेटर लिखना नहीं आता है. अगर राज्य शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने का काम कर रहा है तो आप अदालत पहुंच जाते हैं. देश का हर छात्र निजी स्कूल में नहीं पढ़ सकता है.
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अनिवार्य नहीं है परीक्षा
नियोजित शिक्षकों के वकील की ओर से कहा गया कि बिहार पंचायत शिक्षक नियम 2012 के तहत जब नियोजित शिक्षकों को नियमित किया गया तो क्षमता परीक्षा लिया गया था. बिहार सरकार ने अदालत में कहा कि शिक्षकों के क्षमता विकास के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा अनिवार्य नहीं है. परीक्षा नहीं देने वाले नियोजित शिक्षकों को नौकरी से नहीं निकाला जायेगा. लेकिन इस परीक्षा को पास करने वाले शिक्षक राज्य शिक्षक के समान हो जायेंगे और उन्हें पूरी सुविधा मिलेगी.