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Bihar: भाजपा के मेनिफेस्टो में तेजस्वी यादव को दिखा कुछ नहीं, बोले- केवल इधर-उधर की बातें

Bihar: भाजपा के मेनिफेस्टो पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि इसमें कुछ भी नहीं है. केवल इधर उधर की बातें कही गयी है. न युवाओं के लिए कुछ है ना किसानों के लिए कुछ है. महंगाई पर भी कुछ नहीं कहा गया है.

By Ashish Jha | April 14, 2024 1:42 PM
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Bihar: पटना. भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया. भाजपा के इस घोषणा पत्र में देश की जनता के लिए मोदी की 14 गारंटी का जिक्र किया गया है. भाजपा के घोषणा पत्र पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि बीजेपी के घोषणा पत्र में किसी के लिए कुछ नहीं है, मेनिफेस्टों में सिर्फ इधर-उधर की बातें कही गई हैं.

बिहार के लिए कुछ नहीं

तेजस्वी ने कहा कि भाजपा ने जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है, उसमें बिहार के लिए कुछ भी नहीं है. न स्पेशल पैकेज का जिक्र किया गया और ना ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही गई. बिहार और उसकी तरह जो गरीब प्रदेश हैं भाजपा उन्हें कैसे आगे बढ़ाएगी, इसके बारे में भी कोई जिक्र उनके घोषणा पत्र में नहीं है. केवल इधर-उधर की बातें कही गई हैं. हमारा मानना है कि उसमें बिहार के लिए कुछ भी नहीं है.

युवाओं और किसानों का जिक्र नहीं

तेजस्वी ने कहा है कि भाजपा ने जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है, उसमें किसान और युवाओं के लिए क्या करेंगे, इसका तो कई जिक्र ही नहीं किया गया है. बताइये युवाओं का कोई जिक्र नहीं किया गया है. देश में 60 फीसदी युवा हैं, लेकिन उनके लिए भाजपा के घोषणा पत्र में कुछ नहीं है. कितने लोगों को नौकरी देंगी, इसकी चर्चा नहीं की गई है. उसी तरह से देश में 80 फीसदी किसान हैं और किसानों के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है. महंगाई और गरीबी को कैसे खत्म करेंगे, इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है.

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गरीबों को मुफ्त राशन कांग्रेस की योजना

भाजपा पर हमला बोलते हुए तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी के लोगों ने पिछले 10 सालों में क्या-क्या नहीं कहा, लेकिन क्या किया यह सबको पता है. पांच साल तक मुफ्त राशन देने के भाजपा की घोषणा पर तेजस्वी यादव ने कहा कि फूड सिक्योरिटी बिल देश में कांग्रेस लेकर आई थी. ये अलग से क्या कर रहे हैं? केवल स्कीम का नाम बदल देना है और बिहार जैसे राज्यों पर भार डाल देना है. जितनी भी केंद्रीय योजनाएं हैं, पहले राज्य सरकार को 10 फीसदी देना पड़ता था, लेकिन आज पचास फीसदी हिस्सा राज्य को देना पड़ रहा है.

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