Bihar Tourism: अगर आप ऐतिहासिक धरोहरों और घूमने की जगहों के शौकीन हैं तो आपको बिहार में घूमने के लिए कई जगहें मिल जाएंगी. लेकिन आज हम बात करेंगे ऐतिहासिक शहर राजगीर की जो अपनी खूबसूरती और धार्मिक महत्व के लिए मशहूर है. वैसे तो राजगीर में घूमने के लिए कई विकल्प हैं लेकिन यहां मौजूद “साइक्लोपियन वॉल” अपने आप में एक अद्भुत संरचना है. कहा जाता है कि यह दीवार चीन की “ग्रेट वॉल” से भी पुरानी है और दुनिया की सबसे लंबी प्राचीन दीवारों में से एक है.
45-48 किलोमीटर लंबी है दीवार
राजगीर (उस वक्त का राजगृह) की सुरक्षा के लिए बनाई गई यह दीवार करीब 45-48 किलोमीटर लंबी है. पंचपहाड़ियों को घेरते हुए यह दीवार बड़े-बड़े खुरदरे पत्थरों से बनी है. दीवार की चौड़ाई करीब 14 फीट है और सुरक्षा के लिए जगह-जगह बुर्ज बनाए गए हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के मुताबिक यह दीवार सिल्क रूट का भी हिस्सा रही है.
ग्रेट वॉल ऑफ चाइना से भी पुरानी है साइक्लोपियन वॉल
ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार चीन की प्रसिद्ध “ग्रेट वॉल” का निर्माण चौथी-पांचवीं शताब्दी में हुआ था. ऐसा माना जाता है कि इसके निर्माण की प्रेरणा राजगीर की साइक्लोपियन दीवार से ही ली गई थी. इस दीवार का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेन त्सांग और भारतीय पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है. इस दीवार की निर्माण शैली प्राचीन ग्रीक दीवारों से मिलती जुलती है.
रत्नागिरी पहाड़ी पर आज भी दिखता है साइक्लोपियन वॉल
मगध साम्राज्य के राजा बिम्बिसार और उनके बेटे अजातशत्रु ने राजगीर को अपनी राजधानी बनाया था. उस दौरान शहर की सुरक्षा के लिए इस दीवार का निर्माण कराया गया था. पाली ग्रंथों के अनुसार, दीवार में 32 बड़े और 64 छोटे द्वार थे. इस विशाल दीवार का एक बड़ा हिस्सा आज भी रत्नागिरी पहाड़ी की तलहटी से लेकर ऊपर तक देखा जा सकता है.
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