Bihar Tourism: बिहार सरकार पर्यटन को लेकर काफी गंभीर हैं. प्रदेश में कई ऐसे पर्यटन स्थल (Tourist Places Bihar) हैं जहां आपको जरूर जाना चाहिए. सैर सपाटा के लिए सासाराम में भी कई ऐसे जगह हैं जो आपको बेहद खुबसूरत लगेंगे. छुट्टी के दिनों में अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बिहार के सासाराम के इन जगहों पर एकबार जरूर जाना चाहिए. यहां किले, मकबरे का इतिहास आज भी आपको अपनी ओर खींचेगा. वहीं मंदिर और झरना आपके मन को एक अलग सुकून देगा.
सासाराम में शेरशाह सूरी का मकबरा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इस मकबरे का निर्माण सन 1545 में पूरा हुआ था. यह मकबरा बिहार के पठान सम्राट शेर शाह सूरी की याद में बनाया गया. शेर शाह सूरी ने मुगल साम्राज्य को हराया था और उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य की स्थापना की थी. यह मकबरा 52 एकड़ तालाब के बीच में स्थित है.
सड़क मार्ग से शहर के किसी भी कोने से आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है. रौजा रोड यहां पहुंचने के लिए मुख्य रोड है. बनारस और गया के बीच सासाराम एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है. दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन (मुगल सराय) भी ट्रेन बदलकर यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां नजदीकी एयरपोर्ट गया है. वैसे आप पटना और बनारस एयरपोर्ट का विकल्प भी देख सकते हैं.
अगर आप सासाराम में हैं और इतिहास से जुड़ी चीजों में दिलचस्पी रखते हैं तो किला और महल देखने के लिए राजस्थान जाने का इंतजार मत कीजिये. बिहार के सासाराम में कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहतासगढ़ किला की सैर करने जरुर जाइये. छुट्टी के दिनों का यहां आनंद लीजिये. इस किले के बारे में बताया जाता है कि इसे राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने बनवाया था. जिसपर आगे चलकर आदिवासी राजाओं का हुकूमत चला. वो इसे शौर्य का प्रतीक मानते थे. बाद में यह किला शेरशाह के अधीन रहा. 28 वर्गमील क्षेत्र में फैले इस किले में 83 दरवाजे हैं. अकबर के शासन में राजा मान सिंह इसी किले से बिहार-बंगाल पर शासन चलाते थे. कहा जाता है कि बादशाह शाहजहां भी अपनी बेगम के साथ इस किले में रहे.
बिहार के रोहतास जिला का एक और किला ऐसा है जो कई रहस्य समेटे हुए है.’शेरगढ़ का किला’ आपको एकबार जरुर जाना चाहिए. कैमूर की पहाड़ियों पर मौजूद इस किले की बनावट दूसरे किलों से बिल्कुल अलग है. इसकी बनावट ऐसी है कि ये किला बाहर से किसी को भी नहीं दिखता. ये तीन तरफ से जंगलों से घिरा है. वहीं एक तरफ से यहां दुर्गावती नदी है. सैकड़ों सुरंगें और तहखाने इस किले के रहस्य को और बढ़ाते है. कहा जाता है कि इस किले को शेरशाह सूरी ने अपने दुश्मनों से बचने के लिए बनवाया था और इसकी बनावट ऐसी है कि दुश्मन कोसों दूर से भी देख लिये जाते थे.
अगर आप प्रकृति से प्यार करते हैं और छुट्टियों में पहाड़ों पर घूमने का शौक रखते हैं तो आप एकबार सासाराम के धुआं कुंड जलप्रपात का आनंद लेने जरूर जाएं. यहां आप प्रकृति की अनोखी छटा देख सकेंगे. वाटरफॉल आपको अलग ही दुनिया में लेकर जाएगा. धुआं कुंड जलप्रपात से आप विंध्य पर्वत श्रृंखला की कैमूर पहाडियों का खुबसूरत नजारा देख सकते हैं. यहां 130 फिट की ऊंचाई से पानी गिरता आप देखेंगे जो धुंआ बन जाता है. यह ऋषि मुनियों की तोस्थली है. बरसात में सैलानी यहां बड़ी तादाद में आते हैं.
अगर आपने सासाराम में घूमने का प्लान किया है तो धुआं कुंड जलप्रपात का आनंद लेने से पहले मंझर कुंड जलप्रपात का आनंद जरुर लें. सासाराम के कैमूर पहाड़ी का पानी चट्टानों में एक धारा बनाकर टेढ़े-मेढे रास्ते से गुजरते हुए मांझर कुंड जलप्रपात में जाकर जमा हो जाता है. करीब आधे कीलोमीटर आगे जाने के बाद ये ऊंचे पर्वत से जमीन पर गिरता है और धुआं कुंड कहलाता है. पटना से करीब 159 किलोमीटर तो सासाराम से ये 8 किलोमीटर के करीब है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan