बिहार: बिहारशरीफ में यातायात व्यवस्था हुई बेपटरी, जानें कैसे बढ़ा शहर में गाड़ियों का दबाव
बिहारशरीफ जिले में बढ़ती वाहनों की संख्या का एक दुखद परिणाम सामने आने लगा है. प्रत्येक साल औसतन 150 से 250 व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में होने लगा है. सबसे अधिक एनएच और चिकनी सड़कों पर दुर्घटनाएं हो रही हैं.
कंचन कुमार,
बिहारशरीफ जिले की सड़कों पर हर रोज औसतन 207 नए वाहन दौड़ने आ रहे हैं. यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और इससे सड़कों पर बढ़ते दबाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. प्रत्येक साल 25 हजार से अधिक नए वाहनों की बिक्री हो रही है, जिससे सड़कें सिकुड़ती जा रही हैं और यातायात व्यवस्था चौपट होती जा रही है. ई-रिक्शा ने भी जाम की समस्याओं को और गंभीर बना दिया है. हर साल तीन हजार से अधिक ई-रिक्शा सड़कों पर उतर रहे हैं, जिससे सड़कों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. चार साल में कुल 75298 वाहनों की बिक्री में सबसे अधिक 99.69 प्रतिशत दो पहिया वाहनों की हुई है, जो यह दर्शाता है कि लोग दो पहिया वाहनों की ओर बढ़ रहे हैं.
यह बढ़ता दबाव सड़कों पर यातायात को और भी जटिल बना रहा है और इससे निपटने के लिए सरकार और यातायात अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद वाहनों की बिक्री में तेजी आई है. गरीब से लेकर अमीर परिवार तक वाहन खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं. पहले जहां सालाना 10 से 12 हजार वाहन बिकते थे, वहीं अब यह संख्या 25 हजार से अधिक हो गई है. बाइक और अन्य दो पहिया वाहनों की बिक्री में सबसे अधिक तेजी देखी जा रही है. इसके बाद ई-रिक्शा की मांग बढ़ रही है, जिसमें प्रतिदिन औसतन नौ नई ई-रिक्शा सड़क पर उतर रही हैं. हालांकि, कई ई-दो पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण उनकी बिक्री का आंकड़ा सरकारी रिकॉर्ड में शामिल नहीं हो पा रहा है.
कृषि से जुड़े वाहनों की बिक्री में कमी
बिहारशरीफ जिले में कृषि से संबंधित वाहनों की बिक्री में कमी देखी जा रही है. अधिकांश किसान अभी भी भाड़े के ट्रेक्टर से खेत जुताना और फसल कटने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं. कृषि यंत्र में पूंजी लगाने वाले किसान बहुत कम हैं. सूत्र बताते हैं कि सिर्फ अनुदान वाले लाभुक ही कृषि वाहन खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. बीते चार साल में सिर्फ 102 फसल कटने में उपयोग होने वाले हार्वेस्टर की बिक्री हुई है. हालांकि, गत साल चार में 498 ट्रेक्टर की बिक्री हुई है, जो खेती कार्य में उपयोग किए जाते हैं. वहीं, चार साल में 3537 व्यवसायिक ट्रेक्टर की बिक्री हुई है, जो कृषि ट्रेक्टर से काफी अधिक है. दूसरी ओर, साल-दर-साल ई-रिक्शा की बिक्री बढ़ रही है और पेट्रोल-डीजल-सीएनजी वाले तीन पहिया वाहनों की बिक्री में भी गिरावट आयी है.
किस साल कितने वाहनों की हुई बिक्री
वर्ष | 2024 |
कुल वाहन | 26114 |
बाइक व स्कूटी | 19472 |
ई-रिक्शा | 3039 |
वर्ष | 2023 |
कुल वाहन | 24801 |
बाइक व स्कूटी | 18328 |
ई-रिक्शा | 2815 |
वर्ष | 2022 |
कुल वाहन | 23406 |
बाइक व स्कूटी | 17714 |
ई-रिक्शा | 1970 |
वर्ष | 2021 |
कुल वाहन | 24977 |
बाइक व स्कूटी | 19558 |
ई-रिक्शा | 1369 |
बढ़ती वाहनों की संख्या का दुखद परिणाम
बिहारशरीफ जिले में बढ़ती वाहनों की संख्या का एक दुखद परिणाम सामने आने लगा है. प्रत्येक साल औसतन 150 से 250 व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में होने लगा है. सबसे अधिक एनएच और चिकनी सड़कों पर दुर्घटनाएं हो रही हैं. इन दुर्घटनाओं में बाइक सवार की सबसे अधिक जान जा रही है. यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और इससे सड़क सुरक्षा की जरूरत पर प्रकाश पड़ता है. सड़क सुरक्षा के लिए सरकार और यातायात अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.
क्या कहते हैं लोग
सड़कों पर साल-दर-साल वाहनों की संख्या बढ़ रही है, जिसके पीछे कई कारण हैं. गांव-गांव तक पक्की सड़की पहुंच और हर वर्ग के परिवारों में आर्थिक खुशहाली बढ़ी है, जिससे लोग सुविधायुक्त जीवन शैली के लिए वाहन खरीदने पर जोर दे रहे हैं. विजय कुमार, बैंक कर्मी
जिस गति से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, उस गति से सड़कों की चौड़ीकरण नहीं हो रही है. उल्टे सड़कों पर अतिक्रमण कर अवैध दुकान और बाजार लग रहे हैं, जो जाम और आवागम व्यवस्था के साथ सड़क दुर्घटना का भी कारण बन रहा है. इसपर प्रशासन और सरकार को गंभीरता से कठोर कदम उठाने की जरूरत है. बढ़ते वाहनों के साथ यातायात व्यवस्था भी बढ़ाने की जरूरत है. पंकज कुमार, व्यवसायिक, शहरवासी
ये भी पढ़ें.. BPSC Protest: री एग्जाम की मांग कर रहे छात्रों को सीएम आवास जाने से रोका, डाक बंगला चौराहे पर पुलिस से भिड़े छात्र