बिहार में अनफिट निजी और कॉमर्शियन गाड़ियों पर सख्ती बढ़ाने के लिए पटना, भागलपुर, नालंदा, सासाराम, गया, वीर, हाजीपुर सहित अन्य जगहों पर 12 ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन ने काम करना शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार के गाइडलाइन पर राज्य में कुल 47 ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन खुलना है, जहां गाड़ियों का ऑनलाइन ही फिटनेस सहित सभी जांच होंगे.
सेंटर पर बिना गाड़ी लाये गाड़ी का फिटनेस मिलना मुश्किल है. ऐसे में राज्य भर में अनफिट गाड़ियों की संख्या पर अंकुश लगेगा. पूर्व में स्टेशन पर सिर्फ कॉमर्शियल गाड़ियों की जांच करने का दिशा निर्देश परिवहन विभाग ने दिया था, लेकिन एक अक्तूबर के बाद अब सभी स्टेशन पर निजी गाड़ियों की जांच होगी.
36 तरह की होगी जांच, सेंटर का प्रमाण पत्र देश भर में होगा मान्य
ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर में कुल 36 तरह की फिटनेस जांच होगी. जिसमें 17 जांच मशीन से होगी. बाकी जांच में मैन्यूअल देखकर होगा. सेंटर से जांच के बाद गाड़ी मालिकों को मिलने वाला प्रमाण पत्र देश भर में मान्य रहेगा एवं इस सर्टिफिकेट की जांच कभी भी ऑल इंडिया पोर्टल पर भी हो जायेगा. जांच के बाद तुरंत सर्टिफिकेट ऑनलाइन अपलोड कर दिया जायेगा.
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डीटीओ ऑफिस का नहीं लगाना पड़ेगा चक्कर
फिटनेस बनाने के नाम पर गाड़ी मालिकों को अभी डीटीओ ऑफिस में 5000 से 30 हजार तक ऊपर से अधिकारी को देना पड़ता है. इसमें वैसी गाड़ियों का भी फिटनेस बन जाता है, जो गाड़ी सड़क पर चलने लायक नहीं है.लेकिन उस गाड़ी मालिक के पास सर्टिफिकेट रहता है. ऑटोमैटिक जांच के बाद गाड़ी मालिकों को डीटीओ ऑफिस नहीं जाना पड़ेगा और आराम से ऑनलाइन सब काम हो जायेगा.
कमिश्नर करेंगे सेंटर जांच, छह माह पर होगी ऑडिट
सेंटर की जांच परिवहन कमिश्नर करेंगे और ऑडिट हर छह माह में केंद्र की टीम करेगी, ताकि सेंटर संचालक भी किसी तरह की गड़बड़ी नहीं कर पाये. जांच में गाड़ी अनफिट रहने पर संबंधित सेंटर को लिखित जवाब देना होगा. वरना उनके ऊपर कार्रवाई होगी.