जातिगत जनगणना में ब्राह्मणों की एंट्री, राजद के ट्वीट से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
Bihar Politics बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सियासी तापमान बढ़ा हुआ है. इसी बीच इसमें ब्राह्मणों की एंट्री ने राजनीति में रार बढ़ा दिया है.
पटना. जाति आधारित जनगणना को लेकर बिहार में राजनीतिक तापमान बढ़ गयी है. इस बीच लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की पार्टी राजद ने बुधवार को ट्वीट कर कहा है कि मुट्ठी भर चितपावन ब्राह्मणों के जातिवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इतनी औकात नहीं कि देश के 85 फीसद एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण रोक सकें. जबकि सीएम नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर कहा कि यह राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक मसला है. इससे किसी तरह का तनाव बढ़ने की बात निरर्थक है.
दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर राजद ने की तल्ख टिप्पणी
दरअसल, यह विवाद आरएसएस के दत्तात्रेय होसबोले के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि आरएसएस आरक्षण व्यवस्था का मजबूती से समर्थन करेगा. इसपर राजद ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से संघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेते हुए कहा है कि एक बार आरक्षण पर बोल कर उसका हश्र आरएसएस ने देख चुका है. राजद की ओर से कहा गया है कि आरएसएस की चालाकियां सभी जानते हैं. हम सब कुछ बेच कर आरक्षण को बैक डोर से खत्म करने की साजिश कामयाब नहीं होने देंगे. आरएसएस के जनरल सेक्रेटरी दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर राजद की तल्ख टिप्पणी ने बिहार में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है.
जाति के आधार पर गोलबंदी की कवायद तेज
बिहार में जाति आधारित जनगणना को लेकर घमासान मचा है. नीतीश कुमार भी इस मुद्दे पर केंद्र की भाजपा सरकार से अलग लालू प्रसाद के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. जबकि भाजपा का इसका विरोध जारी है. यही कारण है कि बिहार में जाति आधारित जनगणना की मांग बढ़ रही है. वहीं बिहार की राजनीति में इस पर रार बढ़ती ही जा रही है.