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बिहार के इस गांव में 77 सालों से नहीं हुआ एक भी केस, शिव मंदिर के प्रांगण में लिया जाता है यहां फैसला

बिहार शिव मंदिर के प्रांगण में बैठक कर सभी मामले का निष्पादन कर लिया जाता है. ग्रामीण यहां दोनों पक्ष के लोगों की बातों को सुनकर निष्पक्ष फैसला लेते है.

बिहार का एक गांव है सरेया. आजादी के 77 वर्ष बाद भी इस गांव में रहने वाले किसी भी व्यक्ति पर थाना या न्यायालय में कोई भी केस दर्ज नहीं है. यह गांव है प्रदेश के कैमूर जिले के मोहनिया थाना क्षेत्र के अमेठ पंचायत में पड़ता है. सरेया के लगभग 70 घरों में रहने वाले किसी भी व्यक्तियों के बीच यदि किसी तरह के मनमुटाव जैसी समस्या उत्पन्न होती है, तो गांव में अवस्थित शिव मंदिर के प्रांगण में सभी एकत्रित होकर मामले का निष्पादन कर लेते हैं.

दोनों पक्ष के लोगों की बातों को सुनकर निष्पक्ष फैसला होता है. वादों का पटाक्षेप कर मामले को सुलझा कर समाप्त कर देते हैं. इसका नतीजा है कि यहां के लोगों को न्याय के लिए कभी अपने गांव की डेहरी से बाहर कदम नहीं रखना पड़ता है.

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2014 में डीएम ने किया था आदर्श ग्राम घोषित

2014 में जिलाधिकारी अरविंद कुमार सिंह को इस गांव की जानकारी हुई. सरेया के एक भी व्यक्ति पर किसी तरह का कोई केस मुकदमा दर्ज नहीं है तो वे भी गांव में अवस्थित प्राथमिक विद्यालय पहुंचे और सभी ग्रामीणों से बातचीत की. उस समय गांव के बुजुर्ग लोगों ने डीएम से कहा था कि यहां एक परिवार रहता है, इससे डीएम काफी प्रभावित हुए थे और सरेया को आदर्श ग्राम घोषित कर मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण करने का आश्वासन दिया था.

लेकिन, कुछ समय बाद उनका स्थानांतरण हो गया और ग्रामीणों के आदर्श ग्राम का सपना अधूरा रह गया. यहां की 80 फीसदी गलियों व 30 प्रतिशत नालियों का पक्कीकरण हो चुका है. नल जल योजना की स्थिति डंवाडोल है. यहां के बहुत कम लोग सरकारी सेवाओं में हैं. यहां के लोगों की जीविका का मुख्य आधार कृषि व पशुपालन है.

क्या कहते हैं यहां के ग्रामीण

सरेया के राम अवधेश सिंह कहते हैं कि यहां एक परिवार रहता है. एक-दूसरे के बीच इतना प्रगाढ़ संबंध है कि कभी ऐसा मतभेद हुआ ही नहीं कि थाना या कचहरी जाने की नौबत आये.

इसी गांव के ग्रामीण ढबरी सिंह यादव बताते हैं कि हम लोगों में आपसी भाईचारा, प्रेम व अटूट विश्वास है, जिसे कोई कभी तोड़ नहीं सकता. क्योंकि, यह संस्कार हम लोगों को अपने पूर्वजों से धरोहर के रूप में मिला है, जिसको संजोये रखना हम सभी का कर्तव्य है.

ग्रामीण यमुना सिंह कहते हैं कि यदि कभी किसी बात को लेकर आपस में मनमुटाव हुआ, तो सभी लोग शिव मंदिर के प्रांगण में एकत्रित होकर बातचीत के माध्यम से समस्याओं का समाधान कर लेते हैं. थाना पुलिस की कभी जरूरत नहीं पड़ी.

सविता देवी कहती हैं कि ईश्वर न करें कि हमारे गांव को किसी की बुरी नजर लगे. यहां हम लोगों का एक कुटुम्ब कबीला है, जो एक-दूसरे की सुरक्षा के लिए मर मिटने को तैयार रहता है. यहां किसी व्यक्ति पर कोई केस, मुकदमा दर्ज नहीं है.

गांव की वृद्ध सोनिया देवी कहती हैं कि हम लोगों की एकता व अखंडता का परिणाम है कि आज भी रात के समय घरों का दरवाजा खुला रहता है. कभी किसी का कोई सामान चोरी नहीं हुई. सामान कहीं बाहर भी रखा रहता है, तो कोई नहीं छूता है.

भरत सिंह कहते हैं कि हमारे गांव में कभी झगड़ा-लड़ाई नहीं होता है. हम लोग आपस में इतना मिलजुल कर रहते हैं कि किसी बाहरी व्यक्ति को पता ही नहीं चलेगा कि कौन-किस घर का सदस्य है. ऐसा लगता है कि पूरा गांव एक ही पिता की संतान हैं. आज तक किसी पर कोई केस मुकदमा भी दर्ज नहीं हुआ है.

इस संबंध में पूछे जाने पर अमेठ पंचायत के मुखिया दिनेश प्रसाद प्रजापति ने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार यह सत्य है कि सरेया के किसी भी व्यक्ति पर कोई केस मुकदमा नहीं है.

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