Bihar News: बिहार में अचानक क्यों बीमार पड़ने लगे बच्चे? जानिये वजह और डॉक्टर की सलाह
बिहार में बदलते मौसम ने बच्चों को तेजी से बीमार करना शुरू कर दिया है. मुजफ्फरपुर के अस्पतालों में बीमार बच्चों की संख्या लगातार बढने लगी है. डॉक्टर इसे लेकर सलाह देते हैं, जानिये..
मौसम में बदलाव से नवजात के बीमार होने की संख्या बढ़ गयी है. खांसी, जुकाम और दस्त से बीमार होकर बच्चे ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे रहे हैं. मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 60-70 बच्चे, एसकेएमसीएच में 85-90 और केजरीवाल अस्पताल में 100 से अधिक बच्चे ओपीडी में इलाज कराने आ रहे हैं. इनमें अधिकतर बच्चे दस्त व खांसी से पीड़ित हैं.
बदलते मौसम में बच्चे की इम्यून सिस्टम हो रहा कमजोर
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ चिन्मय शर्मा ने कहा है कि मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. जरा सी लापरवाही स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है. सुबह-शाम के साथ रात में ठंडा मौसम होने से बच्चे बीमार हो रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम में बच्चे की इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. ऐसे में सर्दी, जुकाम, दस्त और बुखार की परेशानी अधिक होती हैं.
मौसम में हो रहे बदलाव के कारण ये परेशानी आम
ऐसे मौसम में नवजात की माताएं खानपान तथा रहन-सहन का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि माताओं के स्वास्थ्य का असर बच्चों को पड़ता है. मौसम में हो रहे बदलाव के कारण कफ, कोल्ड, फीवर, गले में खराश, खांसी, सिर दर्द और बुखार आदि समस्याएं होना आम बात है. थोड़ी सावधानी बरतें, तो वायरल फीवर या खांसी और जुकाम की चपेट में आने से बचा जा सकता है.
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इन बातों का रखें ध्यान
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बच्चों के खाने में प्याज, हरी सब्जियां, जूस व फल आदि शामिल करें.
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एक सेब व दही रोज जरूर खिलाएं, इससे वे जल्दी से बीमार नहीं होंगे
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आपके बच्चे जब गार्डन में जाएं तो उन्हें समझाएं कि उन जगहों के पास न खेलें जहां गंदगी हो.
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जिस कमरे में बच्चे सोते हैं, उस कमरे में उनके सोने से एक घंटा पहले मॉस्किटो रिप्लेंट लगा दें और कमरे का दरवाजा बंद कर दें.
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बच्चों के कपड़ों को एकदम साफ रखें, खासकर जिन कपड़ों को वे पहनकर गार्डन जाते हों, उन्हें अलग रखें और फिर से बिना धोये न पहनाएं.
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बाहर की चीजें जैसे गोलगप्पे, नूडल्स, चाट आदि न खलाएं. उनका खाने का मन करे तो घर पर बनाकर खिलाने की कोशिश करें.
ऐसे करें बचाव
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बच्चों को रोज कम से कम आठ गिलास पानी पिलायें, जिससे उनके शरीर में पानी की कमी न रहे और पेट की सारी गंदगी बाहर आ जाये.
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उन्हें घर से निकलने से पहले नाक पर पर सरसों का तेल जरूर लगायें, इससे उन्हें किसी दूसरे के छींकने या खांसने से निकलने वाले कीटाणुओं से बचने में मदद मिलेगी.
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बच्चों की पानी की बोतल में थोड़ा सा ग्लूकोज और तुलसी के पत्ते डाल कर दें, ताकि वे ऊर्जावान महसूस करें. स्कूल से वापस आते ही शहद मिला कर गुनगुना पानी पिलाएं.
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स्कूल जाते समय हाथों में सैनिटाइजर लगाकर भेजें. इससे वे कीटाणुओ के संपर्क में जल्दी नहीं आएंगे.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan