राजदेव पांडेय,पटना: बिहार की धरती का ‘बुखार’ तेजी से चढ़ रहा है. पिछले पांच साल में यहां की धरती का तापमान 0.38 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, जबकि इससे पहले के 60 साल में बिहार की धरती के तापमान में आधा डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ था. उत्तर बिहार की तुलना में दक्षिण बिहार में सतह का तापमान कुछ अधिक है. फिलहाल पिछले पांच साल में सतह के तापमान में वृद्धि बेहद चिंताजनक है.
आइएमडी की हालिया अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक बिहार क्लाइमेट चेंज की चपेट में है. विज्ञानियों के मुताबिक धरातल का तापमान बढ़ने के कारण भी खास हैं. इसकी मुख्य वजहों में तेजी से हो रहा शहरीकरण मुख्य है. इसके अलावा जल संचय वाली जमीन (ताल-तलैया आदि ) और छोटी-छोटी कई नदियों का असमय लुप्त हो जाना भी बड़े कारण हैं. अंधाधुंध भू-जल दोहन भी बड़ी वजह है. भू-गर्भीय जल कोष खाली पड़े हैं. दरअसल, जमीन में घटती नमी की वजह से धरती का तापमान चढ़ना स्वाभाविक है.
सतह का तापमान बढ़ने का सबसे ज्यादा असर खेतीबारी पर पड़ेगा. इससे बुआई और उत्पादन दोनों प्रभावित होंगे. फिलहाल, वैज्ञानिक बढ़ते तापमान का खेती पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कर रहे हैं. बिहार में सतह के नीचे के तापमान का भी पिछले साल से अध्ययन शुरू हो चुका है. अब तक के अध्ययन के मुताबिक, दक्षिण और पूर्वी बिहार की धरती के अंदर का तापमान उत्तर बिहार की तुलना में अधिक है.
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आइएमडी का आकलन है कि पिछले पांच साल में बिहार की धरती का औसतन तापमान बढ़ा है. धरती का पारा बढ़ना चिंताजनक है. इसके लिए जरूरी है कि हरित आवरण और जल संरक्षण के उपाय किये जाएं.
– विवेक कुमार सिन्हा, पदाधिकारी , आइएमडी बिहार
बताते चलें कि प्रदेश के उत्तरी, पूर्वी और मध्य क्षेत्र में पुरवैया के असर से दिन के तापमान में दो-तीन डिग्री सेल्सियस की कमी आयी है. मौसम अगले 24 घंटे तक ऐसा ही बना रहेगा. नौ अप्रैल से प्रदेश में एक बार फिर तापमान में बढ़ोतरी शुरू हो जायेगी. गुरुवार को प्रदेश में एक भी जगह पर लू दर्ज नहीं हुई है.
आइएमडी रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को तापमान में कमी आने के बाद भी प्रदेश का अधिकतम तापमान औसत से दो से तीन डिग्री अधिक बना हुआ है. पटना में 39.8, गया में 40.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan