– पिछले पांच साल में नक्सल घटनाओं में 72 फीसदी की गिरावट : एडीजी
उन्होंने बताया कि वांछित हार्डकोर नक्सल सशस्त्र दस्ता के सदस्यों की संख्या भी लगातार घट रही है. 2020 में इनकी संख्या 190 थी, जो दिसंबर 2024 में घटकर मात्र 16 रह गयी है. वर्तमान में झारखंड से सटे बिहार के दो सीमावर्ती क्षेत्रों में ही नक्सल का प्रभाव रह गया है. पहले गया-औरंगाबाद एक्सिस में सक्रिय बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के सात सशस्त्र माओवादियों के तीन छोटे समूहों में सक्रिय होने की सूचना है. वहीं, दूसरे जमुई-लखीसराय-मुंगेर एक्सिस में सक्रिय पूर्वी बिहार पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के नौ सशस्त्र माओवादी तीन छोटे समूह सक्रिय हैं. एडीजी ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में पुलिस मुठभेड़ों में प्रमुख नक्सली प्रमोद कोड़ा, बीरेंद्र कोड़ा, मनसा कोड़ा, जगदीश कोड़ा एवं मतलु तुरी के मारे जाने, बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा व नागेश्वर कोड़ा के आत्मसमर्पण करने तथा बबलू संथाल, वीडियो कोड़ा, पिंटू राणा, करुणा की गिरफ्तारियों के फलस्वरूप इस एक्सिस में भी माओवादी गतिविधियों पर काफी हद तक नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया है.
11 नये फॉरवर्डिंग ऑपरेशन बेस कैंप बनाने की तैयारीएडीजी एसटीएफ अमृतराज ने बताया कि बचे हुए नक्सलियों को गिरफ्तार या आत्मसमर्पण करा राज्य के सभी जिलों को नक्सलमुक्त बनाना प्राथमिकता है. वहीं, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों से केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के वापस होने के बाद उत्पन्न सुरक्षा वैक्यूम को भरना बिहार एसटीएफ के लिए बड़ी चुनौती है. इसको देखते हुए नये सुरक्षा कैंप बनाये जा रहे हैं. झारखंड व छतीसगढ़ से बिहार में नक्सलियों के प्रवेश को रोकने हेतु पूर्व में नक्सलियों के गढ़ में स्थापित सात फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस/कैंप के अतिरिक्त झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में 11 नये सुरक्षा कैंप स्थापित किये जाने की योजना है.
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