बिहार का साख-जमा अनुपात बढ़कर हो सकता है 58.5फीसदी
धीरे-धीरे बैंकों का बिहार के लोग और उद्यमियों को कर्ज देने के मामले में नजरिया बदल रहा है. जिस कारण से लंबे समय बाद बैंकों के साख-जमा (सीडी) अनुपात में सकारात्मक सुधार हो रहा है.साल दर साल राज्य का सीडी औसत में बढ़ोतरी हो रही है.वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही में राज्य का औसत साख जमा अनुपात बढ़कर 58.5 फीसदी होने की संभावना है.
बैंकों का बिहार के लोग और उद्यमियों को कर्ज देने के मामले में नजरिया बदल रहा संवाददाता,पटना धीरे-धीरे बैंकों का बिहार के लोग और उद्यमियों को कर्ज देने के मामले में नजरिया बदल रहा है. जिस कारण से लंबे समय बाद बैंकों के साख-जमा (सीडी) अनुपात में सकारात्मक सुधार हो रहा है.साल दर साल राज्य का सीडी औसत में बढ़ोतरी हो रही है.वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही में राज्य का औसत साख जमा अनुपात बढ़कर 58.5 फीसदी होने की संभावना है. हालांकि यह औसत अभी भी राष्ट्रीय औसत 76.7 फीसदी से काफी कम है. कुछ पशु एवं मत्स्य पालन जैसे सेक्टर में अभी भी बैंक ऋण देने में हाथ पीछे खींच रहे हैं. राज्य सरकार लगातार बैंकों पर सीडी औसत बढ़ाने के लिये दबाव बनाती रहती है. अगर बात जिलों की करें तो राज्य का एक मात्र जिला पूर्णिया है,जिसका साख जमा अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है. साख जमा बढ़ने का क्या है अर्थ दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार बैंकों को जमा की तुलना में 70% ऋण देने का प्रावधान है. लेकिन बैंक इस प्रावधान के अनुसार ऋण नहीं देते हैं. साख जमा बढ़ने का आशाय यह है कि बैंक ने ऋण चाहने वालों को ऋण दिया है. इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था में तेजी आती है. उद्योग-धंघे का विकास होता है.बिहार में राज्य सरकार की इथेनॉल नीति के कारण तीन चार बड़ी कंपनियां इथेनॉल प्लांट लगाने के लिए आयीं और बैंकों ने इन कंपनियों को ऋण दिये.जिसके बाद राज्य का साख जमा अनुपात में सुधार हुआ. राज्य का साख जमा अनुपात वर्ष जमा साख सीडी अनुपात 2019-20 371783 159987 43.03 % 2020-21 396471 183973 46.40 % 2021-22 431417 228480 52.96% 2022-23 466583 259633 55.64% 2023-24 501747 293521 58.5% राशि करोड़ में
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