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Patna News : एलएनजेपी अस्पताल के नये भवन में बनेगा बिहार का पहला बोन बैंक

राजवंशी नगर स्थित एलएनजेपी हड्डी अस्पताल के नये भवन में बिहार का पहला बोन बैंक खोला जायेगा. इसको लेकर अस्पताल प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र को भेजने की तैयारी कर रहा है.

संवाददाता, पटना : राजवंशी नगर स्थित एलएनजेपी हड्डी अस्पताल में इलाज कराने आ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. यहां बोन बैंक खोला जायेगा. इसको लेकर अस्पताल प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) को भेजने की तैयारी कर रहा है. जानकारों का कहना है कि एलएनजेपी हड्डी अस्पताल प्रदेश का पहला अस्पताल होगा, जहां बोन बैंक खुलेगा.

किसी भी ब्लड ग्रुप के मरीज को लगा सकेंगे हड्डी

एलएनजेपी हड्डी अस्पताल के निदेशक डॉ सुभाष चंद्र ने बताया कि अस्पताल परिसर में 400 बेड का नया हॉस्पिटल बनाया जा रहा है. नये हॉस्पिटल में कई नयी सुविधाएं होंगी. इसमें एमआरआइ, अतिरिक्त एक्स-रे मशीन, स्पोर्ट्स इंज्यूरी सेंटर के साथ-साथ बोन बैंक का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है. निदेशक ने बताया कि बोन बैंक में निधन के बाद दान करने वाले मृतकों की अच्छी हड्डियों को सुरक्षित रखा जाता है. इसमें केवल हड्डी में संक्रमण की जांच करनी होती है.

डीप फ्रीजर में रखी जायेंगी हड्डियां

डॉ सुभाष ने बताया कि बोन बैंक सामान्यतः आइ बैंक की तरह ही है. जिसमें डोनर द्वारा दान की गयी या ऑपरेशन के दौरान निकाली जाने वाली अस्थियों का डीप फ्रीजर में -40 डिग्री से -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर संग्रह किया जाता है. संबंधित तापमान में एक विशेष तरह के केमिकल में रखा जाता है, जो खराब नहीं होता है. उन्होंने बताया कि हड्डी के री-यूज से ऑपरेशन का समय कम हो जाता है. ऑपरेशन में ब्लड लॉस कम होता है. बोन ट्यूमर निकालने के बाद खाली जगह भरने, जोड़ प्रत्यारोपण, हड्डी नहीं जुड़ने की स्थिति और जोड़ जाम करने के लिए इसका उपयोग होता है.

पीएमसीएच की इको मशीन हुई खराब, जांच बंद

पीएमसीएच के कार्डियोलॉजी विभाग में इको मशीन खराब हो गयी है. इससे जांच की सुविधा फिलहाल बंद है. इससे हार्ट के मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. इको महंगी जांच है. कार्डियोलॉजी विभाग में यह निःशुल्क होती थी, जबकि बाहर 2000 से 2500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. वहीं, जानकारों का कहना है कि करीब आठ महीने पहले भी मशीन में खराबी आ गयी थी, जिसे मरम्मत के लिए भेजा गया था. लेकिन, फिर से तकनीकी खराबी आयी है. जानकार बताते हैं कि यह मशीन करीब 11 साल पुरानी भी हो गयी है. इतने बड़े अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में एक ही इको मशीन थी. वह भी खराब हो गयी. इससे रोज करीब 35 से अधिक मरीजों की इको जांच होती थी. अब मरीजों को पीएमसीएच से सटे आइजीआइसी अस्पताल में रेफर किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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