हर साल बढ़ रही है केंद्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी
देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है. इसका सीधा असर राजस्व संग्रह पर पड़ रहा है. केंद्र सरकार को निर्धारित राजस्व लक्ष्य की तुलना में अधिक राजस्व संग्रह हो रहा है. इस कारण साल दर साल बिहार को केंद्रीय करों में मिलने वाली हिस्सेदारी में भी बढ़ोतरी हो रही है.
संवाददाता, पटना
देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है. इसका सीधा असर राजस्व संग्रह पर पड़ रहा है. केंद्र सरकार को निर्धारित राजस्व लक्ष्य की तुलना में अधिक राजस्व संग्रह हो रहा है. इस कारण साल दर साल बिहार को केंद्रीय करों में मिलने वाली हिस्सेदारी में भी बढ़ोतरी हो रही है. चालू वित्तीय वर्ष में यह राशि बढ़ने की संभावना है. इसका आकलन अप्रैल 2024 में हुये जीएसटी संग्रह से भी लगाया जा सकता है. केंद्रीय जीएसटी संग्रह रिकॉर्ड 2.10 लाख करोड़ रहा है. इसका असर राज्य के जीएसटी संग्रह पर भी दिखाई दिया है, यह पिछले साल की इस अवधि की तुलना में बढ़कर 1992 करोड़ है.
2023-24 में मिली थी लक्ष्य से 12 हजार करोड़ अधिक राशि : वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में बिहार को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के मद में 1.01 लाख करोड़ मिलने का लक्ष्य केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया था. राज्य सरकार ने भी अपने बजट में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 1.01 लाख करोड़ का ही प्रावधान किया था, लेकिन केंद्र के खजाने में राजस्व मद में लक्ष्य से कई करोड़ अधिक का संग्रह हुआ. नतीजतन राज्य सरकार को भी वित्त आयोग के निर्धारित फॉर्मूले के तहत केंद्रीय करों में हिस्सेदारी दी गयी. बिहार में वर्ष 2023-24 में बिहार को इस मद में लक्ष्य की तुलना में 12 हजार करोड़ अधिक राशि मिली है. राज्य को इस मद में 2023-24 के अंत अंत तक 1.13 लाख करोड़ मिली है.वर्ष 2022-23 की तुलना में बिहार को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में वर्ष 2023-24 मिली 18 हजार करोड़ अधिक मिली है.
वर्ष 2022-23 में बिहार को इस मद में करीब 95 हजार करोड़ मिली थी, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.13 लाख करोड़ हो गया है. वहीं, वर्ष 2021-22 में 91180 करोड़
मिली थी.
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