Bihta Airport: घने कुहासे मेंं भी बिहटा एयरपोर्ट पर उतर सकेंगे विमान, लैंडिंग को लेकर है ये अपडेट
Bihta Airport आइएलएस एक ऐसा सिस्टम है जिसमें ग्राउंड पर लगे सेंसर की मदद से पायलट को उसके विंड स्क्रीन पर लगे डिस्प्ले में रनवे की वर्चुअल इमेज आती रहती है और आंख से प्रत्यक्ष रुप से नहीं देखने के बावजूद उसे रनवे और एप्रोच फनल का पूरा मैप मिल जाता है
अनुपम कुमार
Bihta Airport घने कुहासे मेंं भी बिहटा एयरपोर्ट पर विमान उतर सकेंगे और 100 मीटर दृश्यता पर भी वहां लैंडिंग होगी. ऐसा आइएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिग सिस्टम ) कैट-3 सी के इंस्टॉलेशन के कारण संभव होगा, जिसके इंस्टॉलेशन का रास्ता अब रनवे विस्तार के लिए लगभग 191 एकड़ अतिरिक्त जमीन देने को स्वीकृति मिलने के बाद साफ हो गया है. विदित हो कि 2017 में जब बिहटा एयरपोर्ट के निर्माण की योजना बनी थी, उन दिनों यहां जाड़े के मौसम में घने धुंध को देखते हुए कैट थ्री आइएलएस लगाने का विचार था.
लेकिन इसके लिए 900 मीटर अतिरिक्त एप्रोच फनल की जरूरत पड़ती जिसे बनाने के लिए 192 एकड़ अतिरिक्त जमीन की जरुरत थी. इस जमीन पर अतिरिक्त रनवे बिछाने के साथ साथ उसके दोनों ओर इंडिकेटर लाइट लगाने थे और आइएलएस के सेंसर इंस्ट्रूमेंट लगाये जाने थे.
लेकिन इतना जमीन अधिग्रहण में होनेवाली व्यावहारिक समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उस समय राज्य सरकार ने एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया को रनवे विस्तार के लिए जमीन की जरुरत को पुनर्विचार कर कम करने के लिए कहा. इसके कारण बिहटा एयरपोर्ट पर आइएलएस कैट-3 के इंस्टॉलेशन की योजना रूक गयी और पटना की ही तरह वहां आइएलएस कैट वन लगाने पर विचार चलने लगा क्योंकि वहां की लगभग 2500 मीटर रनवे की लंबाई में इससे अधिक संभव नहीं था.
कम दृश्यता से न डायवर्ट होंगे और न ही रद्द कर करने पड़ेंगे फ्लाइट
दिसंबर-जनवरी में हर वर्ष विशिष्ट लैंडस्केप और भौगोलिक पृष्टभूमि के कारण पटना और उसके आसपास के क्षेत्राे में न केवल भीषण ठंडा पड़ता है बल्कि घना कुहासा भी होता हैं. इसके कारण दोपहर 12 बजे के बाद ही यहां लैंडिंग शुरू हो पाती है क्योंकि कम क्षमता की कैट वन आइएलएस लगे होने के कारण यहां विमानों के उतरने के लिए कम से कम 1000 मीटर की दृश्यता चाहिए और 12 बजे से पहले उतनी दृश्यता नहीं होती है.
कई दिन तो दोपहर एक-दो बजे के बाद लैंडिंग शुरू होता है और रात आठ बजे के बाद कुहासा घना होने से विमान उतर नहींं पाते. इसके कारण दर्जनों विमान लेट हो जाते हैं और लैंडिंग शुरू होने पर उनकी आसमान में कतार लग जाती है. कई विमानों को तो 20-30 मिनट तक आसमान में चक्कर लगाते हुए अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है. कई दिन बार बार प्रयास के बावजूद जब पायलट रनवे नहीं देख पाता उसे विमान को डायवर्ट कर बनारस या रांची ले जाना पड़ता है. इससे न केवल विमान यात्रियों को परेशानी होती है बल्कि फ्लाइट का ऑपरेशनल कॉस्ट भी बढ़ जाता है.
पटना से अलग अलग शहरों को जाने वाले हवाई यात्रियों को भी इसके कारण बेहद परेशानी होती है और अपने फ्लाइट के आने के इंतजार में उन्हें घंटों एयरपोर्ट पर रहना पड़ता है. कई विमान के यात्रियों के एक साथ जमा हो जाने के कारण कई बार एयरपोर्ट टर्मिनल की स्थिति बस स्टैंड से भी अधिक बदत्तर हो जाती है और यात्रियों को कुर्सी खाली नहीं मिलने के कारण जमीन पर भी बैठना और लेटना पड़ता है.
इसके साथ साथ फ्लाइट लोड कम करने के लिए 12-13 फ्लाइटों को तो जाड़ा शुरू होते साथ दो महीनों के लिए स्थगित करना पड़ता है जिससे विमानों की संख्या घट जाती हे और एयर टिकट महंगे हो जाते है. बिहटा एयरपोर्ट पर आइएलएस कैट वन लगने पर वहां भी दिसंबर जनवरी में यात्रियों और ऑपरेट करने वाले एयरलाइंस को उन्ही समस्याओुं का सामना करना पड़ता. लेकिन आइएलएस कैट 3 सी के इंस्टॉलशन के बाद दिल्ली एयरपोर्ट की तरह घने कुहासे में भी वहां महज 100 मीटर की दृश्यता पर भी विमान उतर सकेेंगे.
अलग अलग क्षमता है आइएलएस के पांचों श्रेणिणी की
आइएलएस एक ऐसा सिस्टम है जिसमें ग्राउंड पर लगे सेंसर की मदद से पायलट को उसके विंड स्क्रीन पर लगे डिस्प्ले में रनवे की वर्चुअल इमेज आती रहती है और आंख से प्रत्यक्ष रुप से नहीं देखने के बावजूद उसे रनवे और एप्रोच फनल का पूरा मैप मिल जाता है जिससे उसे घने धुंध में भी लैंडिंग में समस्या नहीं होती. आइएलएस की कुल पांच श्रेणियां होती है जिनमे हरेक के लिए अलग अलग लंबाई के रनवे, एप्रोच लाइट और आइएलएस सेंसर इंस्टॉलेशन की जरुरत पड़ती है. इसी के अनुरूप इनकी लैंडिंग क्षमता भी अलग अलग है.
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आइएलएस कैट -1 750 मीटर से 1200 मीटर (एप्रोच लाइट की लंबाई के अनुरूप) आइएलएस कैट टू -400 आइएलएस कैट -3 ए- 250 आइएलएस कैट -3 बी- 200 आइएलएस कैट -3 सी- 100
1400 करोड़ खर्च कर बनेगा सालाना 25 लाख पैसेंजर क्षमता वाला एयरपोर्ट
बिहटा के एयरफोर्स बेस स्टेशन के समीप 1400 करोड़ खर्च कर अत्याधुनिक सिविल एनक्लेव का निर्माण किया जायेगा. इसका टर्मिनल भवन एकमंजिला होगा जिसकी सालाना पैसेंजर क्षमता 25 लाख होगी. बाद में जरुरत पड़ने पर इसको दोमंजिला तक बढ़ा कर इसकी पैसेंजर क्षमता को दोगुना किया जा सकेगा.
राज्य सरकार ने सिविल एनक्लेव के लिए 108 एकड़ जमीन दे दिया है और आठ एकड़ पार्किंग निर्माण के लिए और देने की प्रक्रिया चल रही है जिसपर नवंबर तक टर्मिनल भवन का निर्माण शुरू हो जायेगा. रनवे विस्तार के लिए 191 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन इसमें स्थानीय लोागें के विरोध के कारण अभी समय लगेगा.