पटना. ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी का मटन सबसे अधिक स्वादिष्ट होता है, तो जमुनापारी नस्ल की बकरी सबसे अधिक दूध देती है. सोजत अपने बड़े आकार तो सिरोही नस्ल की बकरी अपने अलग रंग से लोगों को आकर्षित करती है. कुर्बानी के लिए इनकी सबसे ज्यादा डिमांड है और बाजार में ये सबसे ज्यादा कीमत पर बिकती हैं. अलग-अलग नस्ल की ऐसी कई बकरियां और भेड़ बुधवार को वेटनरी कॉलेज में आयोजित प्रदर्शनी में भाग लेने पटना आयी हुई थीं. इनमें से अधिकतर बिहटा, फुलवारी, परसा बाजार, बेऊर जैसे पटना के आसपास के क्षेत्रों से आयी थीं.
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ब्लैक बंगाल : वजन 25 से 30 किलो, दूध एक किलो व कीमत 400 रु किलो
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सोजत : वजन 75 से 78 किलो, दूध डेढ़ किलो और कीमत 500 रु प्रति किलो
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सीरोही : वजन 70 से 75 किलो,
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दूध डेढ़ किलो और कीमत 550 रु प्रति किलो
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बरबरी : वजन 40 से 50 किलो,
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दूध सवा किलो और कीमत 450 रु प्रति किलो
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जमुनापारी : वजन 75 से 78 किलो दूध दो किलो और कीमत 500 रु किलो
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भेड़
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कोरिडेल क्रॉस : काफी तेजी से बढ़ती है, एक कटिंग में ढाई से तीन किलो तक ऊन देती है
पटना. बकरी पालन के समय ऐसी ब्रीड का चयन करें, जिनके खाने का खर्च कम हो, बच्चे ज्यादा हों और लागत कम आये, उक्त बातें डॉ रमेश कुमार सिंह ने बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में बुधवार को बकरी प्रदर्शनी के दौरान आयोजित गोष्ठी में कहीं. पशु पोषण विभाग के डॉ संजय कुमार ने बकरियों में चारे का प्रबंधन और उनके खान-पान की वैज्ञानिक विधि के बारे में बताया. इस अवसर पर पूर्व डीजीपी एसके भारद्वाज ने कहा कि बकरी का दूध बहुत पौष्टिक होता है, जिसे अधिक उपयोग में लाने की जरूरत है.
बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ जेके प्रसाद ने कहा कि नस्ल के सुधार पर ध्यान देने की जरूरत है. इस कार्यक्रम में डीन बिहार वेटनरी कॉलेज, डॉ जेके प्रसाद, निदेशक अनुसंधान डॉ रवींद्र कुमार समेत कई लोग मौजूद थे. इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में सिरोही नस्ल की बकरी चैंपियन रही, जबकि पटना के जाकिर हुसैन का जमुनापारी नस्ल ‘सुल्तान’ चैंपियन बना.