Black Fungus Update: ब्लैक फंगस से दो मरीजों की पटना में मौत, 21 नये मामले मिले,12 स्वस्थ होकर लौटे अपने घर
शनिवार को ब्लैक फंगस के दो मरीजों की पटना मौत हो गयी. इसमें एक आइजीआइएमएस व दूसरे मरीज की मौत एम्स अस्पताल में हुई है. वहीं, पीएमसीएच, एम्स और आइजीआइमएस मिलाकर कुल 21 नये मरीजों को 24 घंटे के अंदर भर्ती किया गया है और 12 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं. पीएमसीएच में तीन, आइजीआइएमएस में पांच और 13 मरीजों को एम्स में भर्ती किया गया. आइजीआइएमएस में वर्तमान 108 मरीज भर्ती हैं, जिनका इलाज जारी है. वहीं, दूसरी ओर पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में 27 मरीज फंगस वार्ड में भर्ती हैं. जल्द ही पीएमसीएच में ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी इंडोस्कोपी तकनीक से शुरू कर दी जायेगी.
शनिवार को ब्लैक फंगस के दो मरीजों की पटना मौत हो गयी. इसमें एक आइजीआइएमएस व दूसरे मरीज की मौत एम्स अस्पताल में हुई है. वहीं, पीएमसीएच, एम्स और आइजीआइमएस मिलाकर कुल 21 नये मरीजों को 24 घंटे के अंदर भर्ती किया गया है और 12 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं.
पीएमसीएच में तीन, आइजीआइएमएस में पांच और 13 मरीजों को एम्स में भर्ती किया गया. आइजीआइएमएस में वर्तमान 108 मरीज भर्ती हैं, जिनका इलाज जारी है. वहीं, दूसरी ओर पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में 27 मरीज फंगस वार्ड में भर्ती हैं. जल्द ही पीएमसीएच में ब्लैक फंगस के मरीजों की सर्जरी इंडोस्कोपी तकनीक से शुरू कर दी जायेगी.
वायरस के कहर के बाद पटना में अभी समस्या खत्म होते नहीं दिख रही है. अब कोरोना संक्रमण कई मरीजों में ब्लैक फंगस के साथ हो रहा है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस व एम्स में दो दिन के अंदर ऐसे 16 रोगियों को भर्ती किया गया, जो आंखों का इलाज कराने संबंधित मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के नेत्र रोग विभाग में आये थे. जब इनकी जांच की गयी, तो संक्रमण की पुष्टि हुई.
वहीं, आंखों की जांच में ब्लैक फंगस भी निकला है. ऐसे मरीजों के इलाज में खासी परेशानी आ रही है. पॉजिटिव होने के बाद उनको पॉजिटिव वाले ब्लैक फंगस वार्ड में शिफ्ट किया जाता है और निगेटिव होने के बाद सामान्य फंगस वार्ड में भेजा जा रहा है. इस तरह की दिक्कतों को लेकर अस्पताल के डॉक्टर भी हैरान हैं.
आइजीआइएमएस के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीज भी संक्रमण के साथ आ रहे हैं. हालांकि उनकी संख्या काफी कम है. ऐसे रोगियों को फंगस वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया जाता है. हालांकि जब तक वह निगेटिव नहीं हो जाते हैं, तब तक बेहतर इलाज शुरू नहीं हो पाता है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan