किशोर कुणाल ने डॉ जगन्नाथ मिश्रा से क्यों कहा था आपकी छवि जो हो, चरित्र के मामले में आप बेदाग हैं

Kishore Kunal वर्ष 1983 के मई महीने में राजधानी पटना के दो मशहूर अखबारों के फ्रंट पेज पर एक ख़बर छपी जिसने बिहार में सियासी तुफान खड़ा कर दिया. खबर थी बिहार के बॉबी हत्याकांड की

By RajeshKumar Ojha | December 29, 2024 4:47 PM

Kishore Kunal: किशोर कुणाल ने बिहार के तत्कालीन सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्रा से कहा था कि आपकी छवि जो हो. लेकिन आप चरित्र के मामले में बेदाग हैं. इस मामले में आप हाथ नहीं डालें वरणा बदनाम हो जायेंगे. बॉबी हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने से पहले डॉ जगन्नाथ मिश्रा जब किशोर कुणाल को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने ये बात कही थी. किशोर कुणाल ने अपनी किताब दमन तक्षकों में भी इस बात की चर्चा की है.

दरअसल. किशोर कुणाल नहीं चाहते थे कि बॉबी के हत्या की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपी जाए. पटना पुलिस अपनी जांच पूरी कर ली थी. किसी भी क्षण बॉबी की हत्या में संलिप्त सभी बड़े राजनेता और उनके पुत्र की गिरफ्तारी होने वाली थी. साक्ष्य के आधार पर हुए जांच में पुलिस को कई ऐसे अहम सुराग हाथ लगे थे कि बिहार के कई बड़े राजनेताओं की नींद गायब हो गई थी. किशोर कुणाल ने करीब चार वर्ष पटना के महावीर मन्दिर में बातचीत के क्रम में इसका खुलासा करते हुए कहा था कि श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी की उप माता राजेश्वरी सरोज दास का वह बयान पुलिस के पास था जो कि आरोपी के लिए फांस बन गया था.

किशोर कुणाल ने बातचीत में कहा था कि श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी की हत्या से जुड़े मामले की जांच करने मैं उनकी उप माता राजेश्वरी सरोज दास के घर पहुंचे थे. बाॅबी उनके साथ ही उनके घर में रहती थी. उसकी हत्या के तार का राज भी इस घर में ही दफन है. यह हम लोगों को पता था. लेकिन, दफन राज को रिकार्ड पर कैसे लाया जाए, इसके लिए हमने अपनी गाड़ी में एक टेप रिकॉर्डर (Tape Recorder) रख लिया.

राजेश्वरी सरोज दास को विश्वास में लेकर हमने उनको बातचीत करने के लिए तैयार कर लिया. वे जब खुलकर सब कुछ बोलने को तैयार हुई तो हमने अपने सिपाही से कहकर वह टेप रिकॉर्डर उनके बेड के नीचे रखवा दिया. इस प्रकार से हमने पूरे वाक्या को रिकार्ड कर लिया. यह रिकार्ड पुलिस के लिए जहां अहम सबूत थे वहीं आरोपी के लिए मौत का फंदा और राजनीतिक पतन. यही कारण था कि वे जांच हर हाल में बंद करवाना चाहते थे.

राजेश्वरी सरोज दास के घर पुलिस को क्या पता चला

किशोर कुणाल बॉबी की मौत की जांच करने उसकी उपमाताजी के सरकारी आवास पहुंचे. अपनी जांच में उन्होंने पाया कि बॉबी की कई चीजें गायब हैं.उनके सरकारी आवास से लगा एक आउट हाउस हुआ करता था. जहां दो लड़के रहते थे. पुलिस ने जब उनसे पूछताछ की. तो उन लड़कों ने पुलिस को बताया कि 7 मई की रात बॉबी से मिलने के लिए एक आदमी आया था. जो व्यक्ति उससे मिलने आया था उस शख्स का नाम था रघुवर झा. रघुवर झा कांग्रेस की एक बड़ी नेता राधा नंदन झा का बेटा था. रघुवर झा के बारे में बॉबी की मां राजेश्वरी सरोज दास ने भी बताया था.दास का कहना था कि रघुवर झा ने ही बॉबी को एक दवाई दी थी.

केस हाई प्रोफाइल बन गया

जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी था.और बाद में उसकी मौत हो गई थी. यहां से यह केस हाई प्रोफाइल बन गया. क्योंकि इस केस में एक बड़े नेता के बेटे का नाम आ गया था. पुलिस ने इसे अपने रिकार्ड पर ले लिया था. इसके बाद पुलिस की जांच जैसे -जैसे आगे बड़ी, सत्ता के गलियारों में हड़कंप मचने लगा. अदालत में केस पहुंचा. वहां राजेश्वरी दास ने अपने बयान में बताया कि कैसे नकली डॉक्टर से बॉबी का इलाज़ करवाया गया और झूठी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बना दी गई.केस की ख़बरें अब लोकल अख़बारों से देश के अख़बारों तक पहुंच चुकी थी. धीरे-धीरे इस केस में और कई लोगों का नाम जुड़ा. इनमें से कुछ सत्ताधारी विधायक और सरकार में मंत्री तक थे. जल्द ही मामले में राजनीति का रंग भी ओड़ लिया.

चरित्र के मामले में आप बेदाग हैं


पुलिस अब इसमें संलिप्त अपराधियों को गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही थी. इसी क्रम में एक रोज़ किशोर कुणाल के पास सीधे मुख्यमंत्री का कॉल आया. जगन्नाथ मिश्र तब बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. किशोर कुणाल अपनी पुस्तक में इस वाक्या की चर्चा करते हुए लिखते हैं कि CM ने उनसे पूछा, ये बॉबी कांड का मामला क्या है. कुणाल ने उन्हें जवाब दिया, सर कुछ मामलों में आपकी छवि अच्छी नहीं है, किंतु चरित्र के मामले में आप बेदाग हैं, इस केस में पड़िएगा तो यह ऐसी आग है कि हाथ जल जाएगा.

अत: कृपया इससे अलग रहें. किताब के अनुसार यह जवाब सुनकर मुख्यमंत्री ने फोन रख दिया था. चूंकि मामला नेताओं की साख से जुड़ा था इसलिए सरकार पर भी दबाव पड़ रहा था. इस बीच मई 1983 में लगभग 4 दर्ज़न विधायक और मंत्रियों की एक टीम मुख्यमंत्री से मिली. कहते हैं सरकार बचाने के लिए जग्गनाथ मिश्र प्रेशर में आ गए. और 25 मई को ये केस CBI को सौंप दिया गया.

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