जीवन में सफलता के लिए पुस्तकें ही बल प्रदान करती हैं: न्यायमूर्ति संजय कुमार

प्रत्येक व्यक्ति को पुस्तकों से जुड़ना चाहिए. यही सबकी सच्ची और अच्छी संगिनी और मार्गदर्शिका होती है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 2, 2024 12:24 AM

संवाददाता, पटना प्रत्येक व्यक्ति को पुस्तकों से जुड़ना चाहिए. यही सबकी सच्ची और अच्छी संगिनी और मार्गदर्शिका होती है. यह बात रविवार को बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में ‘हिंदी पखवारा एवं पुस्तक चौदस मेला’ के उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहीं. उन्होंने कहा कि आजकल नयी पीढ़ी पुस्तकों से दूर होती जा रही है. उन्हें समझाया जाना चाहिए कि जीवन में सफलता के लिए पुस्तकें ही बल प्रदान करती हैं. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर ने कहा कि हिंदी के विकास में सरकार की भूमिका तो है ही, किंतु इसके उन्नयन में सभी भारतवासियों का योगदान आवश्यक है. सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि सरकार यथाशीघ्र हिंदी को ‘भारत की राष्ट्रभाषा’ घोषित करने के संबंध में आवश्यक विधिसम्मत कार्रवाई करे, ताकि भारत की संविधान सभा के संकल्पों को पूरा किया जा सके. समारोह में पटना हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली और विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है. भाषा का महत्व यह है कि इससे व्यक्ति अपने को अभिव्यक्त करता है. सम्मेलन के उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, डॉ शंकर प्रसाद, डॉ मधु वर्मा, डॉ पूनम आनंद, डॉ पुष्पा जमुआर, विवेक कुमार गुप्त और उदय मन्ना ने भी अपने विचार व्यक्त किये. पुस्तकों का भी हुआ लोकार्पण : समारोह में बिहार के पूर्व अपर सचिव रमेश प्रसाद रंजन की पुस्तक ‘अध्यात्म की ओर’, कवि अमरेंद्र नारायण की पुस्तक ‘उत्साह तुम्हारा अभिनंदन (द्वितीय संस्करण)’ और राम जानकी संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘सकारात्मक भारत-उदय’ के तीसरे खंड का विमोचन किया गया. इसके पहले सम्मेलन के पूर्व उपाध्यक्ष और ‘राष्ट्रभाषा-प्रहरी’ के रूप में चर्चित साहित्यकार नृपेंद्र नाथ गुप्त की जयंती पर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी. मंच का संचालन ब्रह्मानंद पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया. मौके पर रिटायर्ड आइएएस अधिकारी व कवि बच्चा ठाकुर, डॉ नागेश्वर प्रसाद यादव, डॉ शालिनी पांडेय, कवयित्री आराधना प्रसाद, इ अशोक कुमार, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय समेत अन्य मौजूद रहे.

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