64वीं बीपीएससी में कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक लाने के बावजूद पांच अभ्यर्थी चयनित होने से रह गये जबकि आठ का कट ऑफ मार्क्स के समान अंक लाने के बावजूद चयन नहीं हो सका है. 64वीं का रिजल्ट आने और अभ्यर्थियों के अंक पत्र जारी होने के बाद बीपीएससी को कई असफल अभ्यर्थियों से ऐसे अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें उन्होंने कट ऑफ से अधिक या समान अंक लाने की बात कह अपने को चयनित करने का आग्रह किया है.
बीपीएससी ने उनके अभ्यावेदनों के साथ उनको सफल घोषित नहीं करने की वजह भी गुरुवार को अपने वेबसाइट पर विस्तारपूर्वक बताया. साथ ही उन मार्गदर्शक सिद्धांतों को भी बताया जो कि समान अंक लाने की स्थिति में आयोग द्वारा दो या अधिक उम्मीदवार में से किसी एक के चयन का आधार बनती है.
स्वाति कुमारी (अनुक्रमांक 235062) का कुल प्राप्तांक 495 और मेघा क्रमांक 2327 है. उनकी कोटि में समान अंक पर चयनित उम्मीदवार मेधा क्रमांक 2323 पर अवस्थित हैं और उन्हें लिखित परीक्षा में स्वाति से अधिक अंक प्राप्त है जिससे उनका चयन हुआ. राकेश कुमार सिंह (अनुक्रमांक 233204) का कुल प्राप्तांक 516 और मेधा क्रमांक 1579 है जबकि उक्त कोटि में समान अंक पर चयनित अंतिम उम्मीदवार मेधा क्रमांक 1569 पर अवस्थित हैं और उन्हें लिखित परीक्षा में राकेश कुमार सिंह से अधिक अंक प्राप्त हुआ है जिसके कारण राकेश की बजाय उनका चयन हुआ. इसीतरह रक्षा गौरव(अनुक्रमांक 554581), अभिषेक कुमार सिन्हा (अनुक्रमांक 135331), कमलेंद्र प्रताप सिंह (अनुक्रमांक 151898), रोहित राज आनंद (अनुक्रमांक 510394), आलोक कुमार (अनुक्रमांक 306778) और शाहिना बेगम (अनुक्रमांक 288494) का भी समान अंक रहने के बावजूद चयन नहीं हो पाय क्योंकि उसी अंक पर चयनित उम्मीदवार को लिखित परीक्षा में उनसे अधिक अंक मिले थे और मेधा सूची में भी उनका स्थान ऊपर था.
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काजल कुमारी (अनुक्रमांक 561829) द्वारा केवल बिहार पुलिस सेवा का चयन किया गया था जिसके लिए इन्हें पर्याप्त अंक नहीं मिले और अन्य सेवाओं में चयन के लिए इनको विचारार्थ नहीं रखा गया. कमलेश कुमार सिंह (अनुक्रमांक 570637) ने भी अपने आवेदन में मात्र चार पदों के लिए अधिमानता अंकित की है जिनमें मेधा सूची में उनसे ऊपर रहने वाले का चयन किया गया है. इसी तरह सीमित पदों के लिए अधिमानता घोषित करना ही कुमारी आंचल, रीना कुमारी के चयन नहीं होने की वजह बनी है जबकि अमित सिंह की उम्र 22 वर्ष से कम होने की वजह से उनके लिए विकल्पों का सीमित होना चयनित नहीं होने की वजह बनी.
– लिखित परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को मेधा क्रम में ऊपर रखा जाता है.
– लिखित परीक्षा में प्राप्तांक सामान होने की स्थिति में वैकल्पिक विषय के प्राप्तांक के आधार पर मेघा क्रम निर्धारित होता है.
– वैकल्पिक विषय में प्राप्तांक सामान होने पर जन्म तिथि के आधार पर अधिक उम्र वाले उम्मीदवार का चयन होता है .
– जन्म तिथि सामान होने की स्थिति में उम्मीदवार के नाम को देवनागरी लिपि में वर्णमाला के अनुरुप मेघाक्रम में स्थान दिया जाता है.
Posted By: Thakur Shaktilochan