पटना. बीपीएससी पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के डीएसपी रंजीत कुमार रजक को गिरफ्तार कर लिया है. उनको निगरानी के विशेष न्यायालय में पेश किया गया, जहां से न्यायिक हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया गया. इओयू दो दिनों से रंजीत कुमार रजक को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही थी. उन पर पेपर लीक के मुख्य आरोपित और गया के रामशरण सिंह इवनिंग कॉलेज डेल्हा के प्राचार्य सह केंद्राधीक्षक रहे शक्ति कुमार के साथ सांठ-गांठ के आरोप है.
शक्ति कुमार ने ही बीपीएससी के प्रश्नपत्र की स्कैनिंग कर वाट्सअप के माध्यम से उसे लीक किया था. पेपर लीक में डीएसपी की भी संलिप्तता पाये जाने के बाद गिरफ्तारी की गयी. इस मामले में यह 17वीं गिरफ्तारी है. इओयू टीम ने उनके पटना के महुआबाग स्थित आवास पर तलाशी भी ली, जहां फिलहाल कुछ बरामद नहीं हो सका.
इओयू की जांच में पाया गया कि डीएसपी रंजीत कुमार रजक की पेपर लीक के मुख्य आरोपित सह केंद्राधीक्षक शक्ति कुमार से लगातार फोन पर बातचीत होती थी. उनके शक्ति कुमार के साथ काफी अच्छे संबंध रहे और उनकी कई बार मुलाकात भी हुई. इसके अलावा भी आरोपित डीएसपी के विरुद्ध कई ऐसे महत्वपूर्ण प्रमाण मिले हैं, जो पेपर लीक में उनकी संलिप्तता को प्रमाणित करती है. इओयू के अधिकारियों के मुताबिक उनकी भूमिका के संबंध में हर पहलू पर जांच होगी. खास कर वित्तीय बिंदु पर भी अनुसंधान होगा. इओयू का आरोप है कि डीएसपी ने जांच में सार्थक सहयोग भी नहीं किया.
आरोपित डीएसपी रंजीत कुमार रजक का पूर्व का आपराधिक इतिहास रहा है. उन पर एसएससी की विभिन्न परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं (ओएमआर शीट) को निकाल कर उत्तर पुस्तिका के खाली छोड़वाये गये उत्तर को कलर कर परीक्षा परिणाम को प्रभावित करने का आरोप है. इस संबंध में उनके सहित 21 लोगों के खिलाफ दिसंबर 2012 में इओयू में पहले भी मामला दर्ज हो चुका है. इस मामले में जून 2014 में आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.
मालूम हो कि बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा आठ मई को थी, जिसे पेपर लीक के बाद रद्द कर दिया गया. इसकी जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई इसके पहले भी कई अफसरों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि कई अब भी रडार पर हैं.