बीपीएससी की 67 वीं संयुक्त (प्रारंभिक ) प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न पत्र वायरल होने के मामले में 19 अगस्त को झारखंड के बोकारो के चंदन क्यारी से गिरफ्तार रक्षा मंत्रालय का ऑडिटर कपिलदेव कुमार ने कई राज उगले हैं. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई अब भी उससे पूछताछ कर रही है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कपिलदेव ने पेपर लीक करने के षड्यंत्र में शामिल आधा दर्जन से अधिक उन लोगों के नाम बताये हैं, जो उसके साथ पहले भी पेपर लीक कराने में मदद करते रहे हैं. इनमें कुछ सरकारी कर्मचारी हैं. एसआइटी के लिए ये नाम नये हैं. उसने यह भी स्वीकार किया है कि कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी कर कई अभ्यर्थियों की नौकरी लगवायी है. कपिलदेव से पूछताछ के आधार पर अनुसंधान की दिशा आपराधिक षडयंत्र के साथ साथ मनी ट्रायल की ओर भी हो गयी है.
एसआइटी का नेतृत्व कर रहे एसपी ( इओयू) सुशील कुमार ने रविवार को बताया कि कपिलदेव कुमार प्रश्नपत्र लीक का मास्टर माइंड गया के थाना डेल्हा की न्यू कॉलोनी निवासी शक्ति कुमार और केन्द्राधीक्षक राम शरण सिंह इविनिंग कॉलेज, डेल्हा का सक्रिय सहयोगी है. शक्ति कुमार ने कपिलदेव को परीक्षा से पहले सुबह 10.35 बजे ही प्रश्न पत्र व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा था. कपिलदेव ने उसे अपने अन्य मित्रों, सहयोगियों को फारवर्ड किया था. पूछताछ में कपिलदेव ने कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सेटिंग और धांधली कर अभ्यर्थियों को पास कराने की बात स्वीकार की है.
सुशील कुमार ने बताया कि महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अनुसंधान किया जा रहा है. इस पूरे गिरोह के द्वारा किये गये षडयंत्र में शामिल हर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की जायेगी. गया जिले के बाराचट्टी थाने के भितघरवा का रहने वाला कपिलदेव कुमार (पिता रामेश्वर यादव) इस मामले में अप्राथमिकी अभियुक्त है. नौ जून को वह प्रयागराज में इओयू से बच निकला था. दिल्ली, लेह-लद्दाख, नेपाल में छिपने के बाद वह बोकारो पहुंचा था. कपिलदेव प्रयागराज रक्षा लेखा महानियंत्रक प्रयागराज के आइटी और सिस्टम डीविजन में ऑडिटर के पद पर कार्यरत है.
कपिलदेव भी पीटी परीक्षा दे रहा था. उसका परीक्षा केंद्र डुमराव में था. उसने परीक्षा फॉर्म में प्रयागराज का गलत पता दिया था. बीपीएससी के पेपर कपिल देव के जरिये ही बाकी लोगों तक पहुंचे थे. इआेयू ने उसके पास से दो मोबाइल फोन, एयरटेल के तीन और जिओ के दो सिम कार्ड, पंजाब नेशनल बैंक के चार तथा भारतीय स्टेट बैंक का एक डेबिट कार्ड के अलावा फर्जी नाम से बनाये गये दो मतदाता पहचान पत्र भी बरामद किये गये हैं.
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आर्थिक अपराध इकाई ने 09 मई 22 को धारा 420/467/468/ 120 (बी) भादवि, 66 आईटी एक्ट एवं धारा-3 / 10 बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 का अनुसंधान के तहत कांड 20/2022 दर्ज किया है. इओयू का विशेष अनुसंधान दल इसकी जांच कर रहा है. एसआइटी अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. एक अभियुक्त कोर्ट में आत्मसमर्पण कर चुका है. नौ अभियुक्तों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित किया जा चुका है.