BPSC पेपर लीक: सॉल्वर राजेश SSC पेपर लीक में भी हुआ था गिरफ्तार, सचिवालय में अवैध तरीके से मिली नौकरी

BPSC Paper Leak: बीपीएससी पेपर लीक मामले में ईओयू ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक गिरोह का खुलासा किया है. इस गिरोह में शामिल कृषि विभाग के जिस कर्मी को गिरफ्तार किया गया है वो पहले भी पेपर लीक मामले में जेल जा चुका है. बावजूद, उसे सरकारी नौकरी मिल गयी. जिसकी जांच जारी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2022 8:38 AM
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BPSC Paper Leak: बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) पेपर लीक मामले में इओयू ने रविवार को बड़ा खुलासा करते हुए एक गिरोह का खुलासा किया. यह गिरोह अभ्यर्थियों से रुपये लेकर पेपर लीक कराकर परीक्षा से पहले ही उत्तर भेज देने की गारंटी लेता था. इस गिरोह के 4 लोगों की गिरफ्तारी की गयी. उनमें कृषि विभाग का एक सहायक भी शामिल है. गिरफ्तार कर्मी पहले भी पेपर लीक मामले में जेल जा चुका है लेकिन उसके बाद भी अवैध तरीके से सचिवालय में उसकी नियुक्ति हुई.

2012 में एसएससी पेपर लीक में भी राजेश हुआ था गिरफ्तार

ईओयू ने गिरोह के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया. इनमें एक सदस्य 39 वर्षीय राजेश कुमार भी शामिल है. राजेश कुमार भागलपुर जिला का निवासी है और पटना के शास्त्रीनगर थाने के पटेल नगर में किराये के मकान में रहता है. सॉल्वर की भूमिका निभाने वाला राजेश कुमार कृषि विभाग में सहायक के पद पर आसीन है. चौंकाने वाली बात यह है कि राजेश 2012 में भी बिहार एसएससी पेपर लीक मामले में आरोपित था. ईओयू ने तब भी इसे गिरफ्तार किया था.

आरोपित होने के बाद भी सचिवालय सहायक की मिली नौकरी

आरोपित राजेश कुमार SSC पेपर लीक मामले में कई महीनों तक जेल में भी रहा. बता दें कि केस संख्या 25/2012 में यह आरोपित रहा. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इतने गंभीर मामले में आरोपित होने के बाद भी 2018 में सचिवालय सहायक के तौर पर उसकी ज्वाइनिंग करा दी गयी. बताते चलें कि राजेश कुमार अभी ईओयू के गिरफ्त में है और वर्तमान में उसकी तैनाती कृषि विभाग के कोषांग में सहायक के तौर पर थी.

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जानिये सरकारी नौकरी के नियम, राजेश के मामले में अनदेखी

राजेश कुमार की गिरफ्तारी के बाद अब जब उसकी कुंडली खंगाली गयी तो ये सवाल खड़े हुए कि आखिर उसकी नौकरी कैसे लगी. इतनी बड़ी भूमिका में वो कैसे आ गया. जब एसएससी पेपर लीक कांड में वो जेल जा चुका तो सचिवालय में उसकी नियुक्ति कैसे हुई. नियमानुसार, किसी आरोपित व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती है.

ईओयू करेगी जांच, कैसे मिली नौकरी

नौकरी ज्वाइन करने से पहले उसके बारे में पूरी तफ्तीश होती है. लेकिन राजेश कुमार के मामले में ये चूक कैसे हुई. वो सहायक के पद पर इतनी आसानी से कैसे आ गया. इओयू ने इस पहलू पर भी जांच शुरू कर दी है कि आखिर किसी आरोपित की नियुक्ति कैसे सहायक के तौर पर हो गयी.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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