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समाजिक बंधनों को तोड़ खेतों से चलकर पद्मश्री तक का सफर…जानिये बिहार की किसान चाची उर्फ साइकिल चाची को…

किसान चाची को व्यापार बढ़ाने के लिए सदी के महानायक अभिनेता अमिताभ बच्चन कर चुके हैं मदद

By Radheshyam Kushwaha | March 8, 2020 10:38 AM

पटना: महिलाएं जब संघर्षो की झोली उठाकर घर की दहलीज पार कर जाये तो एवरेस्ट, अंतरिक्ष और राष्ट्रपति भवन तक पहुंच कर इतिहास रच देती हैं. ऐसी ही कहानी है बिहार के मुजफ्फरपुर के आनंदपुर गांव की राजकुमारी देवी की, जिन्हें कोई साइकिल चाची कहता है तो कोई किसान चाची. एक गरीब परिवार में जन्मी राजकुमारी देवी की शादी एक किसान परिवार में हुयी. लेकिन नियति ने उनकी किस्मत में संघर्ष ही लिखा था और शादी के ठीक बाद उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा. उनके पति के साथ ससुरालवालों ने अलग कर दिया. बंटवारे में मिली जमीन पर खुद खेती कर उन्होंने अपने परिवार का गुजारा चलाने का निश्चय किया. यही नही, उन्होंने पूसा कृषि विश्वविद्यालय से उन्नत कृषि की जानकारी हासिल की और अपने खेतों में ओल और पपीता लगाया.

खेत में हुए ओल से आटा और आचार बनाकर उसे बाजार में बेचना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे आचार पापड़ मसाले बनाकर बेचना उन्होंने शुरू किया और जब प्रोडक्ट बेचने में उन्हें तकलीफें आयी तो तमाम समाजिक बंधनों व नाराजगियों को नजरअंदाज कर वो खुद साइकिल चलाकर उसे बेचने निकल पड़ी. देखते ही देखते उनका कारोबार ढंग से चल गया और लोगों के बीच अब “साइकिल चाची ” और उनके बनाये आचार, पापड़, मसाले वगैरह काफी फेमस हो गये. धीरे -धीरे गांव की अनेकों महिलाएं उनके कारोबार में जुड़ने लगीं और कुछ ही समय बाद साइकिल चाची 300 से अधिक महिलाओं के साथ इस व्यापार में दिखने लगीं. जल्द ही उनके बनाये उत्पाद देश के कई कृषि मेलों में बिकने लगा. गुणवत्तापूर्ण व स्वादिष्ट उत्पादों ने उन्हें तेजी से मशहूर किया और राजकुमारी देवी अब “किसान चाची” कहलाने लगीं.

2019 में पीएम नरेंद्र मोदी ने पद्मश्री सम्मान से किया सम्मानित

वॉलीवुड के अभिनेता अमिताभ बच्चन तक यह जानकारी जब पहुंची तो उन्होंने किसान चाची को व्यापार बढ़ाने के लिए काफी मदद किये और पांच लाख नकदी और आटा चक्की वगैरह भी दिया. लगातार प्रशिक्षण लेकर उन्होंने आधुनिक खेती के गुर सीखे और बढ़ते काम के साथ आसपास की महिलाओ को भी प्रशिक्षित कराकर इस काम में जोड़ा. 2003 में सरैया के किसान मेला में बिहार के तत्कालिन मुख्यमंत्री लालू यादव ने इन्हें पुरस्कृत किये थे. 2007 में बिहार सरकार ने उन्हें ” किसान श्री ” सम्मान से सम्मानित किया था, जिसमें उस वर्ष इस सम्मान को पाने वाली वो एकमात्र महिला थीं. स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसान चाची के घर आये और खेती व कारोबार को देखा. यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने इनके लगन की तारीफ की और एक दिन ऐसा पल आया जो एक महिला किसान के लिए सबसे बड़ा स्वप्न ही कहलाएगा, जब नरेंद्र मोदी सरकार ने किसान चाची को “पद्मश्री सम्मान” से सम्मानित करने की घोषणा की. बिहार की किसान चाची तमाम विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुये अब पद्मश्री राजकुमारी देवी कहलाने लगीं. राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची का संघर्ष आज उनकी पहचान गयी और उससे जूझने की वो प्रतिज्ञा मिशाल बनाकर समाज के बीच पेश की जाती है.

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