Business News: नयी पीढ़ी के नहीं उपयोग करने के कारण उत्तर बिहार में कम हो रही सप्लाई
रेडिमेड कपड़ों के प्रचलन के बाद जिस तरह थान वाले कपड़ों की बिक्री कम हुई है, उसी तरह लूंगी भी प्रचलन से बाहर हो रहा है. नयी पीढ़ी के उपयोग नहीं करने के कारण लूंगी का बाजार धीरे-धीरे कम होता जा रहा है.
Business News बदलते परिवेश में परंपरागत पोशाक से नयी पीढ़ी दूर हो रही है. आमतौर पर पहले घरों में लोग पैजामा की जगह लूंगी पहनते थे. भले ही नये कपड़ों की खरीदारी नहीं हो, लेकिन आवश्यक ड्रेस होने के कारण लूंगी की खरीदारी खूब हुआ करती थी. पिछले एक दशक की बात करें, तो लूंगी का कारोबार लगातार कम होता गया. विक्रेताओं की माने तो दस वर्षों में करीब 50 फीसदी कारोबार गिरा है.
लूंगी व्यवसाय की ट्रेनिंग के लिये उत्तर बिहार के प्रमुख केंद्र मुजफ्फरपुर से अब अन्य जिलों में रोज 20 लाख का कारोबार हो रहा है. जिसमें पांच लाख के लूंगी की खपत इस जिले में है, जबकि इसका कारोबार पहले 30 लाख से अधिक का था. यहां से लूंगी की सप्लाई पूरे बिहार के कई जिलों में होती थी, लेकिन पैजामा और बरमूडा जैसे ड्रेस के प्रचलन होने से उत्तर बिहार में लूंगी का कारोबार सिमटने लगा है. फिलहाल जिले में तमिलनाडु के त्रिपुर सहित अन्य जगहों के कपड़ा मिलों से मिक्स और कॉटन की लूंगी की सप्लाई हो रही है, जिसमें बड़े चेक और कटारी स्टाइल की लूंगी की बिक्री अधिक है. प्लेन और छोटे चेक वाले लूंगी की बिक्री कम होती है.
प्रौढ़ लोग ही करते हैं लूंगी की खरीदारी
लूंगी का उपयोग नहीं पीढ़ी नहीं करती. अधिकतर प्रौढ़ लोग ही लूंगी की खरीदारी करते हैं. कपड़ा विक्रेता पुरुषोत्तम पोद्दार बताते हैं कि पहले दुकानों में लूंगी की विभिन्न वेराइटी रहती थी. पैंट-शर्ट के कपड़ों के साथ लोग लूंगी भी खरीदारी करते थे, लेकिन समय के साथ ड्रेस में बदलाव आया है. रेडिमेड कपड़ों के प्रचलन के बाद जिस तरह थान वाले कपड़ों की बिक्री कम हुई है, उसी तरह लूंगी भी प्रचलन से बाहर हो रहा है. नयी पीढ़ी के उपयोग नहीं करने के कारण लूंगी का बाजार धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. कई कपड़ा दुकानदारों ने इसका व्यवसाय छोड़ दिया है. इसका बाजार अब सिमटता जा रहा है.
कम होता जा रहा लूंगी लूंगी का कारोबार
पिछले कई वर्षों के दौरान लूंगी के कारोबार में कमी आयी है, उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में इसकी डिमांड कम होने लगी है. कुछ मान्यताओं के कारण ही बाजार में लूंगी की बिक्री हो रही है, लेकिन इससे बाजार का ग्रोथ नहीं होगा. फिलहाल कॉटन वाली लूंगी आठ से दस वेराइटी में उपलब्ध है. हल्के रंग के चेक वाले लूंगी की कुछ डिमांड होती है. हालात ऐसा ही रहे तो आने वाले समय में लूंगी की खपत कम होती जायेगी.
– आनंद तुलस्यान, थोक लूंगी विक्रेता