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By-elections in Bihar: राजद कांग्रेस आमने सामने, पढ़िए दरार के पीछे का कन्हैया फैक्टर

विधान सभा के दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले महागठबंधन में रार शुरु हो गया है. राजद के दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियों खड़ा कर दिए हैं. इससे साफ हो गया कि कांग्रेस अब बिहार में राजद की पिछलग्गु बनने को तैयार नहीं

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2021 5:34 PM
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पटना. बिहार में 30 अक्तूबर को विधान सभा के दो सीटों पर मतदान होने हैं. लेकिन, इससे पहले महागठबंधन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. दोनों सीटों पर राजद ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. इससे नाराज कांग्रेस ने भी मंगलवार को दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है. इसके बाद अब यह साफ हो गया है कि कांग्रेस बिहार में राजद की पिछलग्गु बनने को तैयार नहीं है.राजनीतिक पंडित कांग्रेस के इस बदले अंदाज या फिर इस जोर आजमाइश को कन्हैया से जोड़कर देख रहे है. उनका कहना है कि कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से बिहार में कांग्रेसी काफी उत्साहित हैं. यही कारण है कि कांग्रेस अब राजद को भाव देने के मूड में नहीं है.

बिहार में उपचुनाव: राजद कांग्रेस आमने सामने, कन्हैया और पप्पू पर महागठबंधन में रार | Prabhat Khabar

कन्हैया पर विवाद

कांग्रेस और राजद में कन्हैया को लेकर विवाद है. राजद का तर्क है कि कांग्रेस ने कन्हैया को पार्टी की सदस्यता दिलाने की सूचना नहीं दी. हमशे कोई विचार विमर्श नहीं किया और एकतरफा फैसला करते हुए कन्हैया को पार्टी में शामिल करवा दिया. इसपर कांग्रेसी कहते हैं कि कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं तो इसकी सूचना हम राजद को क्यों दें. और आखिर क्यों आरजेडी चाहती है कि कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल कराने से पहले कांग्रेस राजद से विचार- विमर्श करें?

दरअसल, राजद प्रमुख लालू प्रसाद कन्हैया कुमार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के लिए एक चुनौती मानते हैं. यही कारण है कि 2019 में लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बाद भी राजद ने कन्हैया कुमार के खिलाफ बेगूसराय में अपना प्रत्याशी खड़ा किया था. इसके बाद से ही यह साफ हो गया था कि राजद बिहार में तेजस्वी के विकल्प के रुप में बिहार में कोई युवा चेहरा को आगे नहीं बढ़ने देंगे. कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस को नई ऊर्जा मिली है. क्योंकि वह बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं और उन्होंने अपनी कर्मभूमि भी कांग्रेस को ही चुना है. ऐसे में बिहार कांग्रेस का मनोबल ऊंचा है और वह अब आरजेडी के पिछलग्गू पार्टी बनकर नहीं रहना चाहती है.

शायद यही कारण है कि कन्हैया कुमार की एंट्री पर कांग्रेस ने राजद से बात करना उचित नहीं समझी. एंट्री के बाद बिहार उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने का वक्त आया तो आरजेडी ने कांग्रेस से बिना विचार विमर्श किए दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी. जबकि कुशेश्वरस्थान कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है और पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी इस सीट पर दूसरे नंबर पर आई थी. कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा, “कोई भी व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन करेगा तो दूसरे पार्टी से क्यों पूछेगा ? अगर कोई आरजेडी मे शामिल होता है तो क्या कांग्रेस से पूछा जाता है?

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