बांका, पटना, समस्तीपुर व पूर्वी चंपारण में पदस्थापित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश संवाददाता,पटना राज्य में 216 अस्पतालों को प्रथम रेफरल यूनिट (एफआरयू) बनाया गया है. यहां पर अन्य सेवाओं के अलावा महिलाओं को 24 घंटे प्रसव व सिजेरियन कराने की व्यवस्था की गयी है. वर्तमान में सिर्फ 69 एफआरयू काम कर रहे हैं. इनमें भी पदस्थापित कई अस्पतालों के चिकित्सकों द्वारा रात में सिजेरियन कार्य नहीं किया जा रहा है. पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री की समीक्षा बैठक में इसका खुलासा हुआ है. विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए ऐसे जिलों के सिविल सर्जनों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही ऐसे भी चिकित्सकों की पहचान की गयी है जिनके द्वारा रात्रिकालीन सिजेरियन कार्य नहीं किया जा रहा है. एफआरयू में स्थानीय स्तर पर ही रात्रिकालीन सिजेरियन कार्य को लेकर 70 चिकित्सकों और निश्चेतकों की तैनाती ऐसे अस्पतालों में की गयी है. इनके रहते भी अस्पतालों में रात्रिकालीन सिजेरियन कार्य नहीं हो रहे हैं. एफआरयू ही नहीं राज्य के चार जिला अस्पताल पटना, मुजफ्फरपुर, गया और अरवल में भी रात्रिकालीन सिजेरियन कार्य नहीं हो रहे हैं. इसे देखते हुए विभाग ने सिविल सर्जनों से इसकी सूची मांगी है. साथ ही जिन चिकित्सकों को एफआरयू में पदस्थापित किया गया है उन्होंने योगदान नहीं दिया है उनकी भी सूची मांगी गयी है. समीक्षा में यह भी पाया गया है कि एफआरयू के क्रियाशील नहीं होने में सबसे बड़ी बाधा ब्लडबैंक और ब्लड स्टोरेज यूनिट क्रियाशील नहीं हैं. सिजेरियन प्रसव के दौरान माताओं को खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है. ऐसे में स्थानीय स्तर पर ब्लड बैंक नहीं रहने से ऑपरेशन और जोखिम भरा हो सकता है. समीक्षा में यह भी पाया गया है कि कई जिलों में तो ब्लड बैंक और ब्लड स्टोरेज का निबंधन का नवीकरण ही नहीं हुआ है. उदाहरण स्वरूप अररिया जिला के फारबीसगंज ब्लडबैंक का नवीकरण 2019 से लंबित है. बांका का अमरपुर और बौंसी, नालंदा जिला के चंड़ी, राजगीर और कल्याणबिगहा का ब्लड बैंक और ब्लड स्टोरेज सेंटर का नवीकरण लंबित है. विभाग ने सभी संबंधित जिले के सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है कि अविलंब इस दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित करें.
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