Campus News राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शुक्रवार को राजभवन में आयोजित बैठक में कुलपतियों को दो टूक निर्देश दिये हैं कि वे सक्षम प्राधिकार की अनुमति के बाद ही अपना मुख्यालय छोड़ें. वह अपने क्षेत्राधीन संबद्ध एवं मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों का नियमित निरीक्षण करें. हिदायत दी कि कुलपतियों का आचरण उनके पद की मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए.
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति करें. इस दौरान अभ्यर्थी की योग्यता पर विशेष ध्यान दिया जाये. मालूम हो कि विश्वविद्यालयों में लोकपाल के रूप में वरिष्ठ प्रोफेसर्स की नियुक्ति की जाती है. दरअसल लोकपाल विद्यार्थियों की शिकायतों का समाधान करते हैं.
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छात्रसंघ का चुनाव विश्वविद्यालय की सुविधा और परिस्थिति को ध्यान में रखकर कराएं. उन्होंने भारतीय भाषा में पाठ्य पुस्तक के लेखन की शुरुआत करने के निर्देश भी दिये हैं. बता दें कि बिहार के विश्वविद्यालयों में विज्ञान आदि की किताबों का हिंदी में अनुवाद किया जाना है. बैठक में नैक के लिए भी प्रयास करने को कहा है.
राज्यपाल ने शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों के सेवांत लाभ की समीक्षा के दौरान निदेश दिये कि दो या दो से अधिक विश्वविद्यालयों से जुड़े मामलों का निबटारा संबंधित कुलपति आपसी विमर्श से करें. कहा कि सेवांत लाभ के भुगतान में किसी भी शिक्षक या शिक्षकेतर कर्मचारी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए.
उन्होंने अपने पूर्व के दिये गये निदेशों के अनुपालन, स्नातक व स्नातकोत्तर के एकेडमिक कैलेंडर एवं लंबित परीक्षाओं की स्थिति की भी समीक्षा की. कहा कि विश्वविद्यालयों की आधिकारिक वेबसाइट एवं सोशल मीडिया के अन्य सभी प्लेटफाॅर्म पर अद्यतन जानकारियां उपलब्ध होनी चाहिए.
राज्यपाल की अध्यक्षता में आहूत इस बैठक में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण आदि उपस्थित थे.