नहीं लगी कैंसर लीनियर एक्सीलेटर मशीन

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल आने वाले कैंसर के मरीजों को राहत देने के लिए मंगायी जाने वाली लीनियर एक्सीलेटर मशीन की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 4, 2025 12:19 AM

– केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से 38 करोड़ रुपये में लगनी थी मशीन संवाददाता, पटना पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल आने वाले कैंसर के मरीजों को राहत देने के लिए मंगायी जाने वाली लीनियर एक्सीलेटर मशीन की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गयी है. जिम्मेदार अधिकारियों के चक्कर में यह योजना फिलहाल अटक गयी है. ऐसे में कैंसर के गंभीर मरीज पुरानी तकनीक से ही उपचार कराने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं मशीन लगाने को लेकर पिछले करीब छह से सात साल से इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल प्रशासन की ओर कुछ कार्य तक नहीं किये गये हैं. इस कारण मरीजों को लीनियर एक्सीलेटर के लिए एम्स और आइजीआइएमएस का चक्कर लगाना पड़ रहा है. 38 करोड़ रुपये में लगनी थी मशीन जानकारों के अनुसार पीएमसीएच के कैंसर रोग विभाग में लीनियर एक्सीलेटर मशीन लगाने के लिए 2017 में योजना बनायी गयी थी. इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से करीब 38 करोड़ रुपये बजट देने की स्वीकृति भी मिल गयी थी. इसमें 12 करोड़ की मशीन बाकी बंकर आदि निर्माण कार्य में खर्च करने थे. इसको लेकर केंद्रीय टीम के कई आला अधिकारी छह साल पहले निरीक्षण भी कर चुके थे. इस दिशा में कार्य शुरू होने वाला था लेकिन तत्कालीन अधिकारियों की अनदेखी के चलते यह योजना धरातल पर नहीं उतर पायी. सूत्र बताते हैं कि केंद्र की योजना थी कि इसमें अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों का हस्तक्षेप नहीं था, सूत्र बताते हैं कि कमीशन नहीं मिलने सहित अन्य कई कारणों के चलते तत्कालीन अधिकारियों ने दिलचस्पी नहीं दिखायी और यह योजना धरातल पर नहीं उतर पायी. बंकर बनाने के लिए हो चुकी थी जमीन की मापी कैंसर मरीजों के लिए लीनियर एक्सीलेटर मशीन लगाने के लिए जमीन की मापी भी करायी गयी थी. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की टीम ने अस्पताल का दौरा किया और फिर बंकर बनाने के लिए जमीन की मापी की गयी थी. प्रस्ताव के अनुसार बंकर मशीन के ढांचे के तहत ही बनाना था. बनने वाले उस बंकर की दीवार अल्यूमिनियम से तैयार करने के लिए कहा गया था, ताकि मशीन से निकलने वाला रेडिएशन बंकर से बाहर न जा सके. मगर अभी तक मशीन का अता पता नहीं है. यहां तक कि उस समय एक माह के अंदर निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी की गयी. लीनियर एक्सीलेटर से यह है फायदा पीएमसीएच के कैंसर विभाग में मरीजों को फिलहाल कोबाल्ट थेरेपी के तहत सिंकाई की जाती है. इससे मरीज के कैंसर प्रभावित एरिया के अलावा अन्य टिश्यू भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. इससे मरीज को राहत मिलने में देरी होती है. इस तकलीफ और बेहतर उपचार दिलाने के उद्देश्य से संस्थान ने लीनियर एक्सीलेटर मशीन की मांग की थी. लीनियर एक्सीलेटर मशीन से अन्य टिश्यू क्षतिग्रस्त नहीं होते. इससे सिर्फ कैंसर प्रभावित एरिया को ही सेंक दी जायेगी. रेडियोथेरेपी के दौरान मरीजों की होने वाली सिंकाई में इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है. इसके तहत जब सिंकाई में रेडियो तरंगें कैंसर प्रभावित क्षेत्र में छोड़ी जाती हैं, तो मरीज की त्वचा बर्न हो जाती है. इस तकनीक की मदद से उन किरणों पर अधिक फोकस किया जा सकेगा और मरीज की त्वचा भी नहीं जलेगी. अब नयी बिल्डिंग में लगेगी मशीन पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने बताया कि उस समय मशीन क्यों नहीं लगी इसके बारे में जानकारी नहीं है. लेकिन वर्तमान में पीएमसीएच विश्वस्तरीय अस्पताल बन रहा है, जहां कई आधुनिक सुविधाएं रहेंगी. उपकरणों की खरीदारी करने के लिए भी तैयारी की गयी है. लीनियर एक्सीलेटर समेत कैंसर की सभी आधुनिक मशीनें अस्पताल में मौजूद रहेंगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version