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धर्मसंकट में परीक्षार्थी : जान की चिंता, भविष्य चौपट होने का डर, होटल-धर्मशाला का संकट, रिश्तेदार भी हिचकिचा रहे

सहरसा : जेइइ मेन, एग्रीकल्चर और नीट की परीक्षा की तिथि घोषित होने के बाद छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावकों की भी परेशानी बढ़ गयी है. आवागमन से लेकर ठहरने की चिंता उन्हें सताने लगी है. आखिर हो भी क्यों नहीं? कोरोना के बीच देश में मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य परीक्षा शुरू हो गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2020 9:48 PM

सहरसा : जेइइ मेन, एग्रीकल्चर और नीट की परीक्षा की तिथि घोषित होने के बाद छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावकों की भी परेशानी बढ़ गयी है. आवागमन से लेकर ठहरने की चिंता उन्हें सताने लगी है. आखिर हो भी क्यों नहीं? कोरोना के बीच देश में मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य परीक्षा शुरू हो गयी है.

बीते मार्च माह से लॉक डाउन के कारण व्यवसाय चौपट है, तो आमदनी नहीं के बराबर है. उसमें शहर से सौ से लेकर तीन सौ किलोमीटर और उससे अधिक दूरी पर परीक्षा केंद्र बनाये जाने के बाद चिंता बढ़ना लाजिमी है. स्थिति ऐसी है कि लगभग 40 से 50 प्रतिशत छात्र-छात्राएं आवागमन और ठहरने को लेकर सुविधा नहीं मिल पाने के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पायेंगे.

जानकारी के अनुसार, जेइइ मेन की परीक्षा एक सितंबर से छह सितंबर तक, एग्रीकल्चर आइसीआर की परीक्षा सात सितंबर को एवं नीट की परीक्षा 13 सितंबर को शहर से दूर कई जिलों के केंद्रों पर आयोजित होंगे. छात्रों के सामने सबसे बड़ी परेशानी है कि वह परीक्षा केंद्र तक पहुंचेंगे कैसे. बस का परिचालन तो शुरू हो चुका है, लेकिन सरकार के निर्देश का पालन परिचालन में नहीं हो पा रहा है. लोग बस से सफर करने में डर रहे हैं, तो निजी स्तर पर किराये के वाहन से परीक्षा देने जाना हरेक के बस की बात नहीं है.

परीक्षा में शामिल होने से आधे से अधिक परीक्षार्थी हो सकते है वंचित

जिले के परीक्षार्थियों का केंद्र पटना, गया, मुजफ्परपुर, पूर्णिया, दरभंगा, भागलपुर व अन्य शहर में दिया गया है. इन शहरों में जाने के लिए ट्रेन की कोई सुविधा नहीं है. बस का परिचालन हो रहा है. उसमें एक तो किराया अधिक मांगे जा रहे हैं और पूर्व की तरह ही सवारियों को बैठाया जा रहा है. सेनिटाइजेशन का कोई मतलब ही नहीं है. ऐसे में जहां छात्र-छात्राओं को अपनी जान की भी चिंता सता रही है. वहीं, भविष्य चौपट होने का भी डर है. तीन सौ से चार सौ किलोमीटर दूर स्थित केंद्र पर परीक्षा में शामिल होने के लिए उन्हें एक दिन पहले जाना होगा. ठहरने के लिए होटल, धर्मशाला भी नहीं मिलेगा और रिश्तेदार भी अभी उन्हें अतिथि के रूप में स्वीकार करने से हिचकिचा रहे हैं. ऐसी स्थिति में इतनी दूर की सफर कर परीक्षा में शामिल होना छात्र-छात्राओं को मुमकिन नहीं लग रहा है. इन परेशानियों के कारण कहीं ऐसा नहीं हो कि आधे से अधिक परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल ही नहीं हो पाये.

प्रशासन को करनी होगी पहल

सरकार के दिशा-निर्देश पर बसों का परिचालन शुरू हो गया है. लेकिन, बस संचालक अपनी मनमर्जी से सरकार के सारें नियम कानून की बिना फिक्र किये बसों का संचालन कर रहे हैं. कोरोना के कारण लोग पूर्व से डरे हैं. ऐसे में परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए प्रशासन को पहल करना होगा. प्रशासन एक सेल का गठन कर परीक्षार्थियों का जानकारी लेकर उन्हें संबंधित जिलों में भेजने के लिए अपनी निगरानी में पूर्व से ही सीट आरक्षित करा परिचालन से पूर्व बसों का सेनिटाइज्ड कराने और अन्य नियमों के पालन करने के बाद बस का परिचालन कराएं, तो हो सकता है कि परीक्षार्थी अपनी परीक्षा केंद्र तक पहुंच कर परीक्षा में शामिल हो पाएं.

क्या कहते है परीक्षार्थी

कृति कनक का कहना है कि सरकार को कोरोना काल को देखते हुए सभी जिलों में परीक्षा केंद्र बनाना चाहिए था. सौ से तीन सौ किलोमीटर की दूरी तय करना व परीक्षा में शामिल होना वर्तमान काल में असंभव लगता है. वहीं, राजकुमार कहते हैं कि ट्रेन का परिचालन नहीं होने और बसों के परिचालन में निर्देशों का पालन नहीं होने के कारण निजी स्तर पर किराये पर वाहन लेकर परीक्षा में शामिल होना सबके बस की बात नहीं है. निजी वाहन मालिक अनाप-शनाप पैसे की मांग कर रहे हैं. सरकार को कोई कदम उठाना चाहिए. विपिन कुमार का कहना है कि दूर जिलों में बनाये गये परीक्षा केंद्र पर एक दिन पहले पहुंचना परीक्षार्थी और अभिभावकों की मजबूरी है. किसी तरह यदि परीक्षार्थी परीक्षा देने केंद्र पर पहुंच भी जाते हैं, तो उन्हें ठहरने में काफी परेशानी है. होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाउस के बंद रहने के कारण आखिर एक दिन पहले पहुंचने वाले कहां ठहरेंगे.

श्रृष्टि संध्या का कहना है कि सरकार को परीक्षा को ध्यान में रख कर परीक्षा स्पेशल ट्रेन चलानी चाहिए. इसमें एडमिट कार्ड के आधार पर उन्हें टिकट उपलब्ध कराया जाये, ताकि सरकार के दिशा-निर्देशों और सोशल डिस्टेंस का भी पालन हो और परीक्षार्थी सही सलामत परीक्षा में भी शामिल हो सकें. हेमलता का कहना है कि लड़के तो किसी तरह सड़क किनारें, बस स्टैंड और परीक्षा केंद्र के बाहर भी एक दिन बीता लेंगे, लेकिन लड़कियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सरकार को छात्र-छात्राओं के भविष्य को देखते कुछ उपाय करनी चाहिए. वहीं, निजी कोचिंग संचालक नंदन कुमार का कहना हे कि परीक्षा का आयोजन स्वागत योग्य है. लेकिन, सभी जिलों में केंद्र बनाया जाना चाहिए था. परीक्षा केंद्र तक जाने और वापसी में परेशानी के साथ दूसरे जगह पर ठहरना सबसे बड़ी समस्या है. सरकार और प्रशासन को पहल करनी होगी, ताकि शत-प्रतिशत बच्चे परीक्षा में शामिल हो सकें.

प्रभात अपील

प्रभात खबर आपलोगों से अपील करती है कि परीक्षा में शामिल होना सभी परीक्षार्थियों का सपना होता है. हो सकता है यह परीक्षा उनके जीवन के लिए अहम हो. इसीलिए यदि आप सक्षम हैं और आप अपने बच्चों को परीक्षा दिलाने के लिए किसी निजी वाहन का उपयोग कर रहे हैं, तो आप अपने परिचित या ऐसे छात्र जो आवागमन की परेशानी के कारण परीक्षा में शामिल होने से वंचित रह रहे हैं. उन्हें अपने साथ लें. होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाउस के बंद होने के कारण सबसे बड़ी दूसरी समस्या ठहरने की है. ऐसे में जो रिश्तेदार संबंधित जिले में हैं. वह स्वयं आगे आकर अपने परिचित परीक्षार्थी को आने का न्यौता दें. हां, उन्हें एक अलग कमरे में ही ठहरने की व्यवस्था कर दें, ताकि आप भी चिंता मुक्त होकर उनका स्वागत कर सकें. आवागमन से लेकर परीक्षा में शामिल होने तक छात्र-छात्राएं और अभिभावक मास्क, ग्लब्स व सेनिटाइजर का उपयोग करें.

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