कार टी-सेल थेरेपी कैंसर के इलाज में 90% सफल

हैमैटोलॉजी फाउंडेशन ऑफ बिहार का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया. फाउंडेशन के सचिव डाॅ अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि आर ब्लॉक स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम के दूसरे दिन खून की कमी समेत ब्लड से संबंधित अन्य बीमारियों पर चर्चा की गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | August 12, 2024 12:34 AM

हैमैटोलॉजी फाउंडेशन ऑफ बिहार के वार्षिक सम्मेलन में दी गयी जानकारी संवाददाता, पटना हैमैटोलॉजी फाउंडेशन ऑफ बिहार का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया. फाउंडेशन के सचिव डाॅ अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि आर ब्लॉक स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम के दूसरे दिन खून की कमी समेत ब्लड से संबंधित अन्य बीमारियों पर चर्चा की गयी. इस दौरान बांबे हाॅस्पिटल, मुंबई से आये वरिष्ठ रक्त रोग विशेषज्ञ डॉ एमबी अग्रवाल ने लाइफ विदाउट प्लेटलेट पर शोधपत्र प्रस्तुत किया. वहीं, पीजीआइ चंडीगढ़ के प्रो पंकज मल्होत्रा ने कैंसर के इलाज के लिए इम्यूनोथेरेपी के तहत होने वाली कार टी-सेल थेरेपी की बेसिक जानकारी और कैंसर के इलाज में इसके उपयोग के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस थेरेपी में मरीज के शरीर से इम्यून सेल के एक प्रकार टी-सेल को लेकर लैब में जेनेटिकली मोडिफाइड कर ऐसा बनाया जाता है कि वह शरीर के अंदर के कैंसर सेल को खत्म करता है. डाॅ मल्होत्रा ने बताया कि इस थेरेपी से 80 से 90% तक सफलता प्राप्त होती है. शरीर में पोषक तत्वों की कमी व अत्यधिक शराब के सेवन से होने वाली रक्ताल्पता संबंधित बीमारी पैनसाइटोपिनिया के पैनल डिस्कशन में दिल्ली से आये डाॅ राहुल भार्गव ने कहा कि सामान्य से दिखने वाले लक्षणों जैसे थकान, कमजोरी, लगातार बुखार, धड़कनों का बढ़ना आदि को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेकर सीबीसी जांच करा लेनी चाहिए. कार्यक्रम में फाउंडेशन के अध्यक्ष डाॅ पीसी झा, डाॅ आरएन टैगोर, डाॅ दिनेश सिन्हा, डाॅ एससी झा के साथ लगभग 200 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया. क्या है कार टी-सेल थेरेपी कार टी-सेल थेरेपी एक प्रकार का कैंसर इम्यूनोथेरेपी इलाज है. इसका फुल फॉर्म काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर) टी-सेल थेरेपी होता है. इसमें ब्लड के डब्ल्यूबीसी से टी लिंफोसाइट को अलग कर लैब में आनुवंशिक रूप से बदल दिया जाता है. फिर उन्हें बॉडी में डाला जाता है. ये टी सेल कैंसर सेल पर हमला करते हैं व उन्हें नष्ट करता है. यह थेरेपी पश्चिमी देशों में लंबे समय से उपलब्ध है, लेकिन काफी महंगी है.भारत में आइआइटी बॉम्बे व टाटा मेमोरियल सेंटर ने अपेक्षाकृत कम खर्चीली जीन बेस्ड सीएआर टी-सेल थेरेपी विकसित की है.

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