सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल ढहने को लेकर एनजीटी में केस

गंगा नदी पर सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने से क्षेत्र की जलीय जैव विविधता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की आशंका के संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केस दर्ज किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 28, 2024 12:38 AM
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संवाददाता, पटना गंगा नदी पर सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने से क्षेत्र की जलीय जैव विविधता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की आशंका के संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केस दर्ज किया है. आगामी छह जनवरी को इस बारे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस्टर्न जोन बेंच कोलकाता में सुनवाई होगी. यह केस इंजीनियर हेमंत कुमार की तरफ से ट्रिब्यूनल के समक्ष दाखिल पिटीशन के संदर्भ में दर्ज किया गया है. हेमंत का दावा है कि पुल ढहने के घटनाक्रम में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य के पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हुआ होगा. ट्रिब्यूनल ने इस मामले में दर्ज एप्लीकेशन नंबर से दर्ज केस 149/ 2024 /इजेड में राज्य और केंद्र की कुल की सात सरकारी एजेंसियों को पार्टी बनाया है. इन एजेंसियों के प्रतिनिधियों को अगली सुनवाई में कोलकाता ट्रिब्यूनल में पेश होने के लिए निर्देशित किया है. केस में ये बनाये गये पार्टी: इस केस में बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, भागलपुर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट,नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा , डिपार्टमेंट ऑफ इन्वायरमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज बिहार और इसके रीजनल कार्यालय, बिहार के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति को पार्टी बनाया गया है. पुल के मलबे का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा बता दें कि चार जून को गंगा नदी पर बन रहा सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल का एक बड़ा हिस्सा ढह गया था. इसमें अलग-अलग विभाग जांच में जुटे हुए हैं. ट्रिब्यूनल के सामने मामले को उठाने वाले हेमंत कुमार का कहना है कि कि इस हादसे में पुल का मलबा ढहने से लुप्तप्राय: हो रहे डॉल्फिन समेत अन्य जलचर के पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है. हेमंत ने ट्रिब्यूनल के समक्ष भेजे गये पत्र में दावा किया है कि पुल के पिलर संख्या 10 पर भारत का पहला चार मंजिला डॉल्फिन ऑब्जरवेशन सेंटर बनने वाला था, जिसका अस्तित्व अब खतरे में आ गया है. साथ ही उन्होंने ट्रिब्यूनल को बताया है कि कंक्रीट संरचना का इतना बड़ा हिस्सा गंगा में लंबे समय तक पड़े रहने से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

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