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आइबीएस दिवस आज : कोविड के बाद बढ़े इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के मामले

पेट साफ न होना, कुछ खाते ही शौच के लिए जाना, कब्ज, सिरदर्द और थकान होना. यह पाचनतंत्र से जुड़ी एक आम समस्या है.

– कोविड ने आंतों को जख्म दिये, कब्ज बढ़ाया -आंतों में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ा व खराब बैक्टीरिया हावी हुआ संवाददाता, पटना पेट साफ न होना, कुछ खाते ही शौच के लिए जाना, कब्ज, सिरदर्द और थकान होना. यदि इस तरह की समस्या है, तो घबराएं नहीं. यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आइबीएस) के कारण हो सकता है. यह पाचनतंत्र से जुड़ी एक आम समस्या है. इरिटेबल बाउल सिंड्रोम एक डिसऑर्डर है, जिसका असर बड़ी आंत पर पड़ता है. इससे बड़ी आंत अधिक संवेदनशील हो जाती है और पाचनतंत्र प्रभावित होता है. इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए विश्व आइबीएस दिवस हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाता है. कोविड ने आंतों को जख्म दिये, कब्ज बढ़ाया डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना वायरस ने मरीजों की आंतों में स्थायी जख्म दे दिये हैं. इससे कब्ज और डायरिया की बीमारी बार-बार हो रही है. इसलिए पोस्ट कोविड मरीजों में आइबीएस पाया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के कारण आंतों में बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ गया है. ऐसे में अच्छे बैक्टीरिया पर खराब बैक्टीरिया हावी हो गये. शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच के गैस्ट्रो विभाग के ओपीडी में बीते एक साल में 368 मरीज पोस्ट कोविड के रिपोर्ट हुए, इनमें आधे मरीज ठीक हो गये, बाकी का अब भी इलाज चल रहा है. इनमें 40 प्रतिशत मरीज आइबीएस के हैं. जांच में इन मरीजों का न्यूरो ट्रांसमीटर प्रभावित पाया गया. यही नहीं कब्ज को लेकर भी मरीज परेशान होते हैं. वहीं 10 प्रतिशत मरीज ऐसे भी हैं जिनको कोविड के बगैर इस बीमारी की चपेट में आये हैं. इस वजह से सभी की क्वालिटी लाइफ बिगड़ी मिली. मरीजों में ये लक्षण मिले – पेट में दर्द, गैस, पेट साफ न होना, पैर-हाथ में सूजन, दस्त व कब्ज, चिड़चिड़ापन, कुछ खाते ही शौच के लिए जाना – 20 प्रतिशत पोस्ट कोविड में बार-बार छोटी आंत में खराब बैक्टीरिया में वृद्धि – पाचन तंत्र में बैक्टीरियल संक्रमण मिला कोट : समस्या और जीवनशैली के आधार पर उपचार चिकित्सक इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का उपचार रोगी की समस्या और जीवनशैली के आधार पर करते हैं. ऐसे रोगियों को दवाओं के साथ खान-पान में सावधानी बरतने और डायट चार्ट के आधार पर आहार लेने की सलाह दी जाती है. कुछ मामलों में एंजाइटी भी एक बड़ा कारण है. ऐसे रोगियों को पाचनतंत्र व मानसिक स्थिति को सामान्य करने वाली दवाओं का सेवन कराया जाता है. कुछ मरीजों में कब्ज के साथ बार-बार डायरिया की शिकायत भी मिलती है. डॉ मनीष कुमार भास्कर, पेट रोग विशेषज्ञ

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