बिहार में जातीय जनगणना (Caste Based Census) कराने के फैसले पर सरकार की मुहर लग गयी है. सर्वदलीय बैठक में सर्वसहमति से इसपर बात बनी तो अब प्रदेश में इसे लेकर भी सियासत गरमायी हुई है. एक तरफ जहां इस फैसले को कैबिनेट से मंजूरी दे दी गयी और सामान्य प्रशासन विभाग इसके लिए आगे का कदम उठाएगा वहीं अब इसका श्रेय लेने के लिए भी सियासी होड़ शुरू है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई और सभी दलों ने इसपर सहमति जताई कि बिहार में जातीय जनगणना होनी चाहिए. वहीं कैबिनेट से भी इसे हरी झंडी दी गयी और सारा रास्ता तय कर दिया गया कि सरकार किस तरह प्रदेश में अपने खर्च पर जाति आधारित गणना कराएगी. अगले नौ महीने में इसे पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है.
बिहार सरकार की कैबिनेट बैठक में जाति आधारित जनगणना पर मुहर लगते ही इसका श्रेय लेने के लिए सियासी बयानबाजी तेज हुई. राजद ने साफ शब्दों में इसे अपनी जीत करार दिया. उधर तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये हमारी और लालू यादव की जीत है. तेजस्वी इसे बिहार के गरीबों की जीत बता रहे हैं. वहीं इसे लालू यादव की जीत बता रहे तेजस्वी को लोग उसी पोस्ट पर प्रतिक्रिया भी अलग-अलग तरह से दे रहे हैं.
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तेजस्वी यादव समेत पूरे राजद कुनबे ने इसे जब अपनी जीत बताने का सिलसिला शुरू किया तो अन्य दलों से विरोध के सुर तेज हुए. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने नसीहत दे दी किराजद इसे राजनीतिक रूप नहीं दे . वहीं सवाल भी किया कि 2011 में जब केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी तब समाजिक आर्थिक और जाति जनगणना की रिपोर्ट क्यों प्रकाशित नहीं कराया. जबकि राजद उस समय यूपीए का मजबूत साथी था. भाजपा सांसद सुशील मोदी ने भी इसी तर्क के साथ हमला किया.
POSTED BY: THAKUR SHAKTILOCHAN