बिहार में नीतीश सरकार जातिगत जनगणना कराने जा रही है. केंद्र सरकार ने इस बार जाति आधारित जनगणना के लिए तैयार नहीं हुई तो राज्यों को यह अधिकार दे दिया गया कि वो अपने खर्चे पर इसे करा सकते हैं. जिसके बाद बिहार में सूबे की सरकार ने यह तय किया कि प्रदेश में इसे कराया जाएगा. सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति के बाद कैबिनेट से प्रदेश में जाति आधारित जनगणना के लिए 500 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी गयी.
जाति आधारित जनगणना को लेकर अब बिहार में कोई संशय नहीं है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह तय हुआ कि प्रदेश में जाति आधारित जनगणना की जाएगी. राज्य स्तर पर सामान्य प्रशासन को इसका पूरा जिम्मा दिया गया. इसकी जानकारी सूबे के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने दिया. बताया कि इसके लिए जिला स्तर पर जिलाधिकारी नोडल होंगे. इसके लिए ग्रामीण स्तर, पंचायत स्तर और उच्च स्तर पर कई विभागों के कर्मियों की सेवा ली जा सकती है.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस जनगणना के लिए लगने वाले पैसे की मांग केंद्र सरकार से की. लेकिन इसका सारा खर्च खुद राज्य सरकार को ही अदा करना है. मुख्य सचिव ने इस बात की जानकारी मीडिया को दी. बिहार सरकार प्रदेश में जाति आधारित गणना के क्रियान्वन पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. यह राशि राज्य सरकार के आकस्मिकता निधि से ली जाएगी.
बिहार में जाति आधारित जनगणना को लेकर अब अनिश्चितता भी नहीं रही. अब इसे पूरा करने की संभावित तिथि भी सामने आ गयी है. सरकार ने फरवरी 2023 तक गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है. मुख्य सचिव ने बताया कि जाति आधारित जनगणना का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा. करीब नौ महीने का समय इसमें लगेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है. इस दौरान कार्य के क्रियान्यवयन में प्रगति की जानकारी राजनीतिक दलों को भी दी जाएगी.
POSTED BY: THAKUR SHAKTILOCHAN